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सफलता की कहानी: सिकलसेल से जूझ रही आशा को बोन मैरो ट्रांसप्लांट के लिए मिली ₹20 लाख की आर्थिक सहायता

लोगों के जीवन में जब कहीं राह नजर नहीं आती तब आशा की एक छोटी सी किरण भी पूरे जीवन को रौशन कर जाती है. ऐसी ही कहानी है कुनकुरी विकासखण्ड के ग्राम पंचायत रेमते में रहने वाली 15 साल की आशा चक्रेश की. जहां सिकलसेल से पीड़ित आशा के जीवन में कई उतार चढ़ाव आये पर कहीं भी उम्मीद की किरण दिखाई नहीं दे रही थी. वहां मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना नई उम्मीद बन कर आई.

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आशा को जन्म से ही सिकलीन होने की जानकारी जब मजदूरी कर जीवन यापन करने वाले माता पिता की लिए यह बात किसी सदमे से कम नहीं थी. चिकित्सकों ने बताया था कि आशा को हुआ सिकलसेल, सिकलसेल का वह प्रकार है जो 10 लाख लोगों में एक व्यक्ति को होने वाली बीमारी है. इस संबंध में आशा की माता बिमला बाई चक्रेश ने बताया कि आशा के पिता स्व. मंगलराम चक्रेश उसके स्वास्थ्य और इलाज के लिए हमेशा चिंतित रहा करते थे. आशा के इलाज के लिए दंपत्ति ने अपनी छोटी सी बचत और आयुष्मान भारत योजना की सहायता से कई अस्पतालों का चक्कर लगाया. रायपुर से लेकर इंदौर, मुंबई सभी जगह आशा की जांच कराने के बाद भी निराशा ही हाथ लगी थी. बचपन से हर महीने आशा को खून चढ़ाने अस्पताल का चक्कर लगाना ही पड़ता था. आशा के पिता आशा को लेकर 25 से 26 बार अस्पताल का चक्कर लगाया करते थे जिसका खर्च भी वहन करना पड़ता था.

ऐसे में एक दिन एक दुखद दुर्घटना में पिता मंगलराम का भी निधन हो गया. ऐसे में चारों बच्चों की जिम्मेदारी अकेले मुझ पर आ गयी थी. इन हालात में हमें आशा का आगे का इलाज असंभव लगने लगा था. एक दिन जिला प्रशासन द्वारा मेडिकल कैम्प आयोजित किया गया था. जहां जांच उपरांत चिकित्सकों ने बोन मैरो ट्रांसप्लांट कराने की सलाह दी. हमारे लिए इसका खर्च उठा पाना संभव नहीं था तब जिला प्रशासन से जांच हेतु 01 लाख रुपये की सहायता उपलब्ध कराई, जिससे रायपुर जाकर जांच संभव हो सका. परन्तु महंगे इलाज की समस्या अभी भी बनी हुई थी.

जिस पर चिकित्सकों ने उन्हें मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना की जानकारी दी. जहां से स्वास्थ्य विभाग द्वारा आवेदन मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के कार्यालय भेजा गया. जहां से त्वरित कार्यवाही करते हुए मुख्यमंत्री ने इसे स्वीकृति प्रदान करते हुए ईलाज के लिए 20 लाख रूपये प्रदान किया गया. जिसके बाद रायपुर के एक प्रतिष्ठित अस्पताल में बोन मैरो ट्रांसप्लांट के लिए डोनर की पहचान की गई. जिसमें दाता का सैम्पल मैच होने पर आशा का बोन मैरो ट्रांसप्लांट का ऑपरेशन किया गया. जिसके बाद आशा को नया जीवन प्राप्त हुआ. इस नए जीवन के लिए आशा और उनकी माता ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को धन्यवाद दिया और कहा कि यदि मुख्यमंत्री ना होते तो शायद आशा का जीवन बचा पाना उनके लिए संभव नहीं होता.

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