जांजगीर-चाम्पा : आपने अब तक अलग-अलग चीजों के संग्रह करने के शौक के बारे में सुना होगा, लेकिन आज हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताएंगे, जिन्होंने औषधि पौधों की बगिया बना रखी है. जांजगीर के राजीव सिंह की पहचान प्रकृति प्रेमी की है और उनमें औषधि पौधों को संग्रह करने का ऐसा जुनून है कि श्रीलंका, पाकिस्तान और चीन से पौधे मंगवाई है, वह भी एरोप्लेन से…
हम बात कर रहें हैं, जांजगीर जिले की जहां जिला मुख्यालय में ऐसा प्रकृति प्रेमी हैं, जिन्हें देश-विदेशों के दुर्लभ औषधि पौधों को संग्रह करने का शौक है. प्रकृति प्रेमी का नाम है राजीव सिंह है, जिन्होंने अपने घर के परिसर में औषधि पौधों की अनोखी बगिया बना रखी है. राजीव सिंह ने देश-विदेश के 150 से ज्यादा दुर्लभ औषधि पौधों को संग्रह किया है. इन औषधि पौधों को वे बच्चों की तरह देखभाल करते हैं. राजीव सिंह ने ऐसे औषधि पौधों को संग्रह किया है, जिनकी बड़ी धार्मिक मान्यता है और लोग दर्शन करना चाहते हैं.
घर की छत को भी प्रकृति प्रेमी ने औषधि पौधों की बगिया बना रखी है. राजीव सिंह का पर्यावरण से कितना प्रेम है, वह इससे पता चलता है कि पेड़ को बचाने के लिए उन्होंने घर के छज्जे को तोड़वा दिया, लेकिन पेड़ को नहीं काटा.
राजीव सिंह की औषधि पौधे की अनोखी बगिया में अमरनाथ क्षेत्र में मिलने वाला नागमणि फूल, कुरुक्षेत्र के पहाड़ियों में मिलने वाला भीम फल, पीले रंग का कमल, रुद्राक्ष, मधुमेह में बनने वाली इन्सुलिन के पौधे कल्पवृक्ष, ब्रम्हकमल, सीता अशोक, हनुमान फल, कृष्ण वट, अक्षय वट सहित अन्य पौधे शामिल हैं. राजीव सिंह की औषधि पौधों की अनोखी बगिया में भारत के साथ ही श्रीलंका, पाकिस्तान, चीन समेत दूसरे देशों के औषधि पौधे हैं.
सबसे खास बात यह है कि उन्होंने कई पौधे विदेशों से एरोप्लेन के जरिए मंगाया है, इसके लिए उन्हें हजारों रुपये खर्च करना पड़ा है. उनके परिवार के लोग भी इसमें भागीदारी निभाते हैं और पौधों का देखभाल करते हैं.
प्रकृति प्रेमी राजीव सिंह के इस बगिया में घूमने के साथ ही जानकारी अर्जित करने के लिए लोग और स्टूडेंट भी पहुंचते हैं. यहां पहुंचने वाले लोग उनके इस प्रकृति प्रेम की तारीफ करते हैं, क्योंकि धार्मिक और ऐतिहासिक मान्यता के औषधि पौधे, एक जगह पर ऐसे कम ही देखने को मिलता है. इस तरह स्टूडेंट और स्थानीय निवासी उनके इस प्रयास की सराहना करते नहीं थकते. साथ ही, उनके बगिया में घूमकर वे गदगद हो जाते हैं. लोगों की माने तो उन्होंने पहले इस तरह के औषधि पौधे नहीं देखे थे, लेकिन राजीव सिंह के प्रयास से उन्हें उन औषधि पौधों का दर्शन करने को मिला.
पिता से राजीव सिंह को प्रेरणा मिली थी, जिसके बाद वे कई दशक से औषधि पौधों का संग्रह कर रहे हैं. हर बरस राजीव सिंह की बगिया में औषधि पौधों की संख्या बढ़ती जा रही है. आज जब चौतरफा पर्यावरण प्रभावित है, ऐसे में प्रकृति प्रेमी राजीव सिंह के प्रयास की जितनी तारीफ की जाए, कम ही होगी.