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4000 साल पुरानी खोपड़ी से खुला ऐसा राज, चौंक गए साइंटिस्‍ट, सद‍ियों पहले भी होता था ये काम

मिस्र में मिली हजारों साल पुरानी मानव खोपड़ी ने ऐसे राज उगले कि जानकर वैज्ञानिक भी सोच में पड़ गए. एक नई स्टडी से पता चला है कि प्राचीन मिस्र के लोग न केवल चिकित्सा के क्षेत्र में दक्ष थे, बल्कि उन्होंने कैंसर जैसी बीमारी का इलाज करने का भी प्रयास किया था. शोधकर्ताओं को हजारों साल पहले के मरीजों में ब्रेन ट्यूमर को ठीक करने की कोशिश के सबूत मिले हैं, जो उस समय से बहुत आगे की बात थी.

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फ्रंटियर्स इन मेडिसिन जर्नल में पब्लिश रिपोर्ट के अनुसार, यह विश्लेषण 4,000 साल पुरानी दो खोपड़ियों पर आधारित है. यह परिणाम जर्मनी में ट्यूबिंगन, इंग्लैंड में कैम्ब्रिज, बार्सिलोना और स्पेन में सैंटियागो डी कॉम्पोस्टेला यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का संयुक्त प्रयास है.

ट्यूबिंगन यूनिवर्सिटी के एक शोधकर्ता और रिसर्च के लेखक तातियाना टोंडिनी ने कहा, हम अतीत में कैंसर जैसी बीमारी की भूमिका के बारे में जानना चाहते थे. तब यह बीमारी कितनी प्रचलित थी. लोग इससे कैसे निपटते थे.

न्यूजवीक के अनुसार, शोधकर्ताओं ने जिन खोपड़ियों की जांच की, वे कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के डकवर्थ कलेक्शन की हैं. पहली, 2687 और 2345 ईसा पूर्व के बीच की है, जो 30 से 35 साल के एक पुरुष की थी, दूसरी 50 वर्ष से अधिक उम्र की महिला की थी. ये खोपड़ी 663 और 343 ईसा पूर्व के बीच की बताई जा रही है.

शोधकर्ताओं ने बताया कि उन्हें खोपड़ी में एक बड़ा घाव मिला, जो ऊतकों की असामान्य वृद्धि का संकेत देता है. इसके अलावा उसके चारों ओर कई छोटे घाव भी थे. लेकिन शोधकर्ता तब दंग रह गए, जब उन्होंने घावों के इर्द-गिर्द चाकू के निशान देखे. टोंडिनी ने कहा, ऐसा लगा जैसे किसी ने जानबूझकर इन कैंसरयुक्त घावों को बढ़ने से रोकने के लिए उन्हें काटने की कोशिश की हो. शोधकर्ताओं को दूसरी खोपड़ी में भी कुछ ऐसा ही घाव नजर दिखाई दिया.

इसके बाद खोपड़ी को जब माइक्रोस्कोप की मदद से जांचा गया, तो शोधकर्ताओं को यकीन ही नहीं हुआ कि उन्होंने क्या देख लिया. उन्होंने कहा, ऐसा लगता है कि प्राचीन मिस्र के लोगों ने कैंसरयुक्त घाव की सर्जरी करने की कोशिश की थी. इससे यह साबित होता है कि उस समय भी लोग कैंसर की दवा बनाने और इलाज ढूंढने पर काम कर रहे थे.

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