फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की है. इस हमले में 26 लोगों की जान चली गई थी. FATF ने स्पष्ट किया कि इस हमले जैसी घटनाएं बिना वित्तीय सहायता और आतंकवादी नेटवर्क में बिना फंडिंग के संभव नहीं होतीं. FATF ने ग्लोबल टेरर फंडिंग की निगरानी करने वाला प्रमुख संगठन है.
FATF ने अपने बयान में बताया कि “पैसे का मूवमेंट” आतंकवाद का केंद्र बिंदु है और इसके बिना इस तरह के हमले संभव नहीं हैं. यह बयान खासतौर पर महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पहली बार है जब इस वैश्विक संस्था ने सीधे तौर पर भारत में हुए एक हमले का जिक्र किया है, जो पाकिस्तान समर्थित आतंकी समूहों के भारत में सक्रिय होने की भारत की दावों को बल देता है.
यह संगठन पाकिस्तान को 2018 से 2022 तक ग्रे लिस्ट में रख चुका है, जिसे उसने 2022 में हटा दिया था. भारत लंबे समय से fatf से आग्रह कर रहा है कि पाकिस्तान को फिर से ग्रे लिस्ट में शामिल किया जाए, क्योंकि यकीनन पाकिस्तान ने सीमा पार से संचालित आतंकी संगठनों के खिलाफ उचित कार्रवाई नहीं की है. fatf के इस बयान से भारत को अपने दावों के समर्थन में मजबूती मिल सकती है.
fatf ने पाकिस्तान आधारित आतंक वित्त पोषण के रास्तों की ओर संकेत करते हुए कहा है कि आतंकवादी समूह हवाला, गैर सरकारी संगठनों (ngo) और क्रिप्टोकरेंसी जैसे डिजिटल टूल्स का इस्तेमाल कर मनी मूवमेंट्स को छुपाते हैं. इनके अलावा, सोशल मीडिया, क्राउडफंडिंग, और वर्चुअल प्रॉपर्टी के दुरुपयोग जैसे नए खतरे भी अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए चुनौतियां पेश कर रहे हैं, जो परंपरागत निगरानी सिस्टम को दरकिनार कर सकते हैं.
आतंकी एक सफलता चाहते हैं, लेकिन इसे रोकने की कोशिश करनी होगी!
पेरिस स्थित fatf ने आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक एकजुटता की जरूरत पर भी जोर दिया है. fatf की अध्यक्ष एलिसा दे अंडा मादराजो ने कहा कि आतंकवादी केवल एक सफलता की आवश्यकता रखते हैं, जबकि देशों को हर हमले को रोकने की कोशिश करनी चाहिए.
जल्द ही FATF एक रिपोर्ट भी जारी करेगा, जिसमें आतंक वित्त पोषण के वैश्विक पैटर्न और केस स्टडीज शामिल होंगी. इसके साथ ही एक वेबिनार भी आयोजित किया जाएगा, जो सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के खिलाड़ियों को उभरते खतरों के प्रति जागरूक करेगा.
भारत की यह उम्मीद है कि FATF के इस बयान और रिपोर्ट से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की निगरानी और कड़ी होगी और आतंकवाद पर लगाम लगाने में वैश्विक सहयोग बढ़ेगा. ऐसे में पाकिस्तान की ग्रे लिस्ट में वापसी की संभावनाएं भी प्रबल होंगी, जिससे क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा को मजबूती मिलेगी.