सुपौल में सरकारी स्कूल का ऐसा हाल, फल के नाम पर दो-चार दाने अंगूर, घट रही बच्चों की उपस्थिति

सुपौल : शिक्षा विभाग के द्वारा सरकारी विद्यालयों में पठन-पाठन की स्थिति को दुरुस्त करने के लिए बार-बार नए प्रयोग किए जा रहे हैं. इन प्रयोगों से विद्यालयों में काफी कुछ बदलाव भी हुआ है लेकिन हाल के दिनों में विद्यालय के निरीक्षण को लेकर के जो आदेश जारी हुआ उससे अधिकांश विद्यालयों में कोई फर्क नहीं दिखता. उल्टे विद्यालय में छात्र-छात्राओं का छीजन शुरू हो गया है.

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विद्यालयों में लगातार रूप से छात्र-छात्राओं की घटती जा रही उपस्थिति एक बार फिर अभिभावकों के लिए चिंता का कारण बनता जा रहा है और इसको लेकर अभिभावक सवाल खड़े करने लगे हैं. इन्हीं सवालों को देखते हुए कुछ विद्यालयों का मुआयना किया.

उत्क्रमित मध्य विद्यालय मझौआ में उपस्थित बच्चों की संख्या मात्र 29 थी. विद्यालयों में फल या अंडा का वितरण होता है जिसके चलते अन्य दिनों की अपेक्षा छात्र-छात्राओं की उपस्थिति अधिक होती है. लेकिन विद्यालय से 200 बच्चों का अनुपस्थित रहना बड़ा सवाल खड़ा करता है.

 

बैठकर समय बिताते हैं शिक्षक

उत्क्रमित मध्य विद्यालय मझौआ के शिक्षक बैठे समय व्यतीत करते हैं क्योंकि वहां बच्चों की उपस्थिति काफी कम रहती है. विद्यालय में उपस्थित शिक्षकों ने बताया कि बच्चे आते नहीं तो क्या करें. शिक्षकों का कहना था कि आज भी बच्चे नहीं आए हैं. विद्यालय प्रधान किसी कार्य में प्रतिनियुक्त हैं. एक सहायक शिक्षक अपने डेरा पर हैं तो दूसरे अस्पताल गए हैं.

मिड डे मील में

दोपहर के समय मिड डे मील में शामिल बच्चों का कहना था कि उन सब को फल या अंडा नहीं दिया जाता. यदि कभी दिया जाता तो दो-चार दाने अंगूर के. उसके चलते बच्चों की उपस्थिति काफी कम रहती है.

 

दो शिक्षक कक्षा चलाते बाकी को बैठे रहना पड़ता

देखा गया कि दो शिक्षक तो कक्षा में रहते हैं बाकी बरामदे पर बैठे रहते. एक तो बच्चों की उपस्थिति चिंता जनक और दूसरा कक्षा चलाने के लिए अलग-अलग कमरा का नहीं होना. दो कमरे के भवन में संचालित विद्यालय की शिक्षण व्यवस्था अभिभावकों के बीच में बार-बार सवाल बनता रहा है. कई बार गांव के लोगों ने वरीय पदाधिकारी तक से शिकायत की थी. सब कुछ हुआ लेकिन विद्यालय की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ा. उधर मध्य विद्यालय बलथरबा संस्कृत विद्यालय बलरवा, प्राथमिक विद्यालय मुसहरी टोला बनैनियां, प्राथमिक उर्दू झाझापट्टी, प्राथमिक विद्यालय ईदगाह टोला छिटही सहित कुछ ऐसे विद्यालय हैं जहां अब बच्चों की संख्या काफी कम दिखाई देने लगी है.

बदल गई निरीक्षण की व्यवस्था

विद्यालयों के निरीक्षण की व्यवस्था बदल गई है. पहले बीआरपी के द्वारा विद्यालयों की जांच की जाती थी लेकिन अब पदाधिकारी को जांच दे दिया गया. छात्र छात्राओं की उपस्थिति अब ई-शिक्षा पोर्टल पर दी जाती है जिसे आसानी से नहीं देखा जा सकता. पहले मिड डे मील पोर्टल पर दिखाई गई उपस्थिति जानी जा सकती थी. मगर अब यह मध्याह्न भोजन प्रभारी या अन्य के स्तर से जाना जा सकता है.

 

बोले अभिभावक

अभिभावकों का कहना है कि उत्क्रमित मध्य विद्यालय मझौआ और इस तरह के अन्य विद्यालयों में नियमित रूप से जांच की जानी चाहिए ताकि शैक्षणिक व्यवस्था में सुधार संभव हो. इस संबंध में मध्याह्न भोजन साधनसेवी से फोन पर संपर्क करने का प्रयास किया लेकिन बात नहीं हो सकी.

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