सुप्रीम कोर्ट ने सड़क हादसों को लेकर एक फैसले में अहम टिप्पणी की है. शीर्ष अदालत ने कहा कि हाईवे पर अचानक ब्रेक लगाना लापरवाही माना जाएगा. कोर्ट ने कहा कि यदि कोई कार चालक बिना किसी चेतावनी के राजमार्ग पर अचानक ब्रेक लगाता है तो उसे सड़क दुर्घटना की स्थिति में लापरवाह माना जा सकता है. कार चालक की 50% जिम्मेदारी है और बस चालक की 30% जिम्मेदारी है. इसके साथ ही बाइक सवार (हकीम) की 20% लापरवाही है.
सुप्रीम कोर्ट ने माना कि हकीम के पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था और उन्होंने कार से पर्याप्त दूरी नहीं बनाई थी, जो कि उनकी लापरवाही थी. सुप्रीम कोर्ट ने कुल मुआवजा ₹1.14 करोड़ तय किया लेकिन हकीम की 20% लापरवाही के कारण यह राशि घटाकर ₹91.2 लाख कर दी गई. यह राशि कार और बस की बीमा कंपनियों को चार हफ्तों के अंदर भुगतान करने का निर्देश दिया गया.
2017 का है मामला
दरअसल, मामला तमिलनाडु के कोयंबटूर में 7 जनवरी 2017 को हुई एक दुर्घटना से जुड़ा था. दरअसल, इंजीनियरिंग छात्र एस मोहम्मद हकीम अपनी बाइक से जा रहे थे, तभी एक कार चालक ने अचानक ब्रेक लगा दिया था. इस दौरान हकीम की बाइक कार से टकरा गई और वो सड़क पर गिर पड़ा. इसी दौरान उसी वक्त पीछे से आ रही एक बस ने उन्हें कुचल दिया.
इलाज के दौरान उनका बायां पैर काटना पड़ा. मामले की सुनवाई के दौरान कार चालक ने कोर्ट में कहा कि उसने इसलिए ब्रेक लगाए क्योंकि उसकी गर्भवती पत्नी को उल्टी जैसा महसूस हो रहा था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस दलील को नामंजूर कर दिया. कोर्ट ने इसके लिए तीनों पक्षों को जिम्मेदार माना.।