अयोध्या: रविवार को महर्षि महेश योगी की 108वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में राज्यसभा सांसद और भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने राम मंदिर की प्रथम वर्षगांठ को याद करते हुए कांग्रेस और विपक्षी दलों पर तीखा प्रहार किया.उन्होंने इसे न केवल धार्मिक बल्कि राष्ट्रीय गौरव और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का प्रतीक बताया.
राम मंदिर: 500 साल की प्रतीक्षा का अंत
सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, “जो राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में शामिल नहीं हुए, उनसे बड़ा अभागा कौन हो सकता है.उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि उनके नेता राम मंदिर के महत्व को नहीं समझ सके.बाबर की कब्र पर कांग्रेस नेताओं के दौरे का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इन ऐतिहासिक गलतियों ने जनता का भरोसा तोड़ा.
उन्होंने राम मंदिर निर्माण की ऐतिहासिक यात्रा को रेखांकित करते हुए कहा, “500 वर्षों के बाद भगवान राम ने उस समय का इंतजार किया, जब अयोध्या फिर से अपने वास्तविक नाम से जानी जाए, प्रयागराज का गौरव लौट आए और देश को कर्मयोगी प्रधानमंत्री व योगी मुख्यमंत्री मिले.”
विकास और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का प्रतीक
त्रिवेदी ने कहा कि राम मंदिर का निर्माण केवल धर्म का नहीं, बल्कि विकास और देश की प्रगति का प्रतीक है.”प्रभु श्रीराम केवल मंदिर में नहीं, बल्कि गरीबों के लिए 4 करोड़ आवास और देश को 74 नए हवाई अड्डे, 450 विश्वविद्यालय और 300 मेडिकल कॉलेज देकर आए हैं.”
उन्होंने यह भी बताया कि न केवल अयोध्या, बल्कि अबूधाबी में भी मंदिर निर्माण और भारत-मध्य पूर्व कॉरिडोर जैसे प्रोजेक्ट्स भारत की बढ़ती वैश्विक प्रतिष्ठा का प्रतीक हैं.
वक्फ कानून पर सवाल
वक्फ बोर्ड के कानून को लेकर उन्होंने इसे भारतीय संविधान के लिए चुनौती बताया.उन्होंने पूछा कि अगर स्वतंत्रता दिवस के लिए 15 अगस्त 1947 है, तो वक्फ बोर्ड के लिए क्यों नहीं? मुगलकालीन फरमानों पर आधारित दावों को लेकर उन्होंने विपक्षी दलों की मंशा पर सवाल उठाए और कहा कि ऐसे मुद्दों पर सभी दलों को ईमानदारी से विचार करना चाहिए.
महाकुंभ और एकता का संदेश
त्रिवेदी ने महाकुंभ का जिक्र करते हुए कहा कि यहां जाति, धर्म या पहचान नहीं पूछी जाती.”गंगा की अविरल धारा न बंटे, समाज हमारा।” यह भारत की अखंडता और एकता का संदेश है.
विपक्ष पर तीखा हमला
त्रिवेदी ने विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा, “राम मंदिर निर्माण का विरोध करने वाले आज सच को स्वीकार करने को मजबूर हैं.जनता जानती है कि असली साधु कौन है और साधु का वेश धरकर कौन घूम रहा है.”
राष्ट्रीय गौरव की अभिव्यक्ति
सुधांशु त्रिवेदी ने अपनी बात समाप्त करते हुए कहा कि राम मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि 500 वर्षों के संघर्ष, राष्ट्रीय स्वाभिमान और सांस्कृतिक पुनर्निर्माण का प्रतीक है.
इस ऐतिहासिक वर्षगांठ के अवसर पर त्रिवेदी ने भारत की प्रगति और सांस्कृतिक गौरव को समर्पित यह संदेश दिया कि “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” के निर्माण का सपना अब साकार हो रहा है.