ट्रिपल आईटी प्रयागराज में हॉस्टल के बाहर कैंडल मार्च निकाल रहे ये छात्र मौत की नींद में सो गए अपने दो साथियों को श्रद्धांजलि देने और संस्थान के उस सोए हुए संवेदनहीन सिस्टम को जगाने निकले हैं. पूरा वाक्या 29 मार्च का है, जब संस्थान में बीटेक फर्स्ट ईयर के स्टूडेंट राहुल मंडला चैतन्य ने परिसर में बने इसी हॉस्टल की चौथी मंजिल से छलांग लगाकर जान दे दी थी. छात्र अपने साथी के जाने के आंसू पोंछ भी नहीं पाए थे कि उसी के बैच मेट एक और छात्र कतरावल अखिल की अचानक मौत हो गई.
राहुल मूक बधिर छात्र था, जो न सुन सकता था और न बोल सकता था. बावजूद इसके उसे सामान्य छात्रों के साथ पढ़ाया जाता था. नतीजा पहले सेमेस्टर में इसका असर हुआ. कई पेपर में बैक आने से वह फेल हो गया. छात्रों और परिजनों का आरोप है कि संस्थान प्रशासन अगर उसकी काउंसलिंग कराता, उसके लिए उसी श्रेणी का टीचर या वैकल्पिक इंतजाम करता तो राहुल बच सकता था.
गार्ड की बाइक से छात्र को अस्पताल भेजा गया
दूसरे छात्र अखिल की कहानी भी इससे अलग नहीं है. बीटेक फर्स्ट ईयर स्टूडेंट कतरावल अखिल को 28 मार्च की शाम पैर में दर्द की शिकायत होने पर प्राइमरी हेल्थ सेंटर झलवा से यूनाइटेड हॉस्पिटल में शिफ्ट किया गया. कॉलेज स्टूडेंट्स के मुताबिक, अखिल को एंबुलेस से न भेजकर गार्ड की बाइक से अस्पताल भेजा गया.
आरोप है कि देश के बड़े आईटी कॉलेज में शुमार ट्रिपल आईटी में बच्चों के बीमार होने पर इलाज के बुनियादी संसाधन मौजूद नहीं थे. आखिर संसाधनों की कमी से अखिल जिंदगी से हार गया. डायरेक्टर प्रो. मुकुल शरद सुतावने ने आनन-फानन में तीन सदस्यों वाली अलग-अलग फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बनाकर जांच कमेटी सहित फैक्ट फाइडिंग शुरू करा दी.
जांच कमेटी से एक सप्ताह में मांगी गई रिपोर्ट
कमेटी से एक सप्ताह में रिपोर्ट तलब की गई है. इसके अलावा एक अन्य कमेटी अलग से बनाई गई है, जिसमें फैकल्टी टीचर्स व स्टूडेंट्स लीडर को शामिल कर स्टूडेंट्स की प्रॉबलम को बाहर लाने की कोशिश शुरू करने का दावा किया गया है.
इधर, निदेशक प्रो. मुकुल शरद सुतावने ने सरकारी मदद की प्रक्रिया पूरी होने से पहले अपनी तरफ से मृतक स्टूडेंट्स के परिवार को 15-15 लाख रुपए प्राइमरी सपोर्ट के तौर पर देने की बात कही है, लेकिन परिजन इस मामले में पुलिस-प्रशासन से कानूनी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.