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गुरुद्वारे में ‘पहरेदार’ बने सुखबीर बादल, गले में लटकाई तख्ती और साफ किए बर्तन

पंजाब के पूर्व डिप्टी सीएम सुखबीर बादल ने आज से अमृतसर के स्वर्ण मंदिर यानी श्री हरमंदिर साहिब गुरुद्वारे के बाहर सजा भुगतना शुरू कर दिया है. मंगलवार दोपहर सुखबीर व्हीलचेयर पर गुरुद्वारे पहुंचे. उनके गले में दोषी होने की तख्ती लटकी थी. बादल ने सेवादारों वाली परिधान पहनी थी. हाथ में पहरेदारी के लिए भाला लिए थे. सुखबीर ने स्वर्ण मंदिर की सामुदायिक रसोई में बर्तन भी साफ किए.

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सुखबीर बादल के पैर में फैक्चर है, इसलिए प्लास्टर लगा है और वो व्हीलचेयर पर ही पहरेदारी कर रहे हैं. गुरुद्वारे के मुख्य द्वार के दूसरी तरफ व्हीलचेयर पर ही अकाली नेता सुखदेव सिंह ढींढसा को भी गले में तख्ती डालकर पहरेदारे के परिधान में देखा गया. वे हाथ में हथियार लिये बैठे नजर आए. इसके अलावा, गुरुद्वारे के लंगर में अकाली दल के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया नजर आए. मजीठिया ने बर्तन धोने की सेवा की.

सुखबीर बादल को क्या सुनाई गई सजा?

दरअसल, सिख समाज की ‘सुप्रीम अदालत’ यानी श्री अकाल तख्त साहिब ने सुखबीर बादल को धार्मिक सजा सुनाई है. वो गुरुद्वारे में सेवादारी करेंगे. बर्तन धोएंगे और पहरेदारी भी करेंगे. श्री दरबार साहिब में बने सार्वजनिक शौचालयों की साफ-सफाई भी करेंगे. जत्थेदार श्री अकाल तख्त ने बादल और उनकी पार्टी के नेताओं पर 2007 से लेकर 2017 तक अकाली दल की सरकार के समय धार्मिक गलतियों पर सजा सुनाई है. उसी सजा की भरपाई अकाली नेता सेवा करके कर रहे हैं.

 

श्री अकाल तख्त ने अकाली दल सरकार के दौरान धर्म विरुद्ध आचरण का दोषी पाते हुए सुखबीर बादल के पिता प्रकाश सिंह बादल को मिला फख्र-ए-कौम खिताब भी वापस ले लिया है और अकाली दल के कैबिनेट मंत्री रह चुके नेताओं को सेवा की सजा सुनाई है.

बादल ने शुरू कर दी है पहरेदारी

अकाल तख्त की ओर से सुनाई गई इस सजा को अकाली दल के नेताओं ने स्वीकार कर लिया है और उसे अमल में लाना शुरू कर दिया है. बादल आज सजा के तौर पर गले में दोषी होने की पट्टिका और हाथ में भाला लेकर अमृतसर के स्वर्ण मंदिर के द्वार पर पहुंचे और पहरेदारी शुरू कर दी. सजा में स्वर्ण मंदिर में ‘सेवादार’ के रूप में काम करने और बर्तन और जूते साफ करने का निर्देश शामिल है.

इन्होंने किए शौचालय साफ

अकाली दल के नेता दलजीत सिंह चीमा, बिक्रम सिंह मजीठिया और महेशिंदर सिंह ग्रेवाल ने भी धार्मिक दंड के तहत अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में शौचालय साफ किए. बलविंदर, सुच्चा सिंह लंगाह, बीबी जागीर कौर और प्रेम सिंह चंदूमाजरा समेत अन्य को भी स्वर्ण मंदिर में सेवा करते देखा गया. माना जा रहा है कि अकाल तख्त की ओर से अकाली दल के नेताओं को राजनीतिक दलों के लिहाज से ये सबसे बड़ी सजा मिली है.

क्या आरोप है?

सुखबीर बादल और उनके कैबिनेट के खिलाफ अकाल तख्त ने दोष साबित किया है. आरोप है कि बादल ने ईशनिंदा के मामले में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम को माफी दिलवाने में मदद की है. इसके लिए बादल ने राम रहीम के खिलाफ शिकायत वापस लेने में अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया है. श्री गुरुग्रंथ साहिब की बेअदबी के मामले में कार्रवाई भी नहीं की और संगत के पैसे से राजनीतिक विज्ञापन दिलवाया था. डीजीपी सुमेध सैनी की नियुक्ति को धार्मिक रूप से गुनाह करार दिया है.

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