सुखबीर सिंह बादल फिर चुने गए शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष, 5 महीने बाद पद पर हुई वापसी

सुखबीर सिंह बादल फिर से शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष चुन लिए गए हैं. अमृतसर के गोल्डन टेंपल परिसर में बने तेजा सिंह समुद्री हॉल में शनिवार को पार्टी के संगठनात्मक चुनाव के दौरान सर्वसम्मति के साथ इसका फैसला लिया गया. कार्यकारी प्रधान बलविंदर सिंह भूंदड़ ने इस दौरान सुखबीर बादल के नाम को प्रपोज किया. पंजाब और अन्य राज्यों के 524 अकाली दल प्रतिनिधियों द्वारा उन्हें इस पद के लिए निर्विरोध चुना गया.

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सुखबीर बादल को पहली बार 2008 में प्रकाश सिंह बादल के बाद शिअद का अध्यक्ष चुना गया था, तब से 2024 तक वह पार्टी प्रमुख के पद पर रहे. उन्होंने पिछले साल धार्मिक सजा का पालन करने के लिए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने खुलासा किया कि सुखबीर इस पद के लिए पसंदीदा और एकमात्र उम्मीदवार दोनों थे. अमृतसर में हुए संगठनात्मक चुनाव अकाली दल के तीन महीने तक चले सदस्यता अभियान के समापन के बाद हुए. अकाल तख्त द्वारा ‘तनखैया’ (धार्मिक कदाचार का दोषी) घोषित किए जाने के बाद सुखबीर बादल ने 16 नवंबर, 2024 को शिअद अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था.

अकाल तख्त ने सुखबीर को सुनाई थी सजा

अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह द्वारा 2 दिसंबर, 2024 को जारी किए गए निर्देश में सुखबीर बादल सहित तत्कालीन शिअद नेतृत्व को पार्टी का नेतृत्व करने के लिए अयोग्य माना गया था. इसके बाद शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने ज्ञानी रघबीर सिंह को पद से हटा दिया और उनकी जगह जत्थेदार कुलदीप सिंह गर्गज को नियुक्त किया. गोल्डन टेंपल में सजा भुगतते हुए सुखबीर बादल पर गोली भी चलाने की कोशिश की गई थी, लेकिन वह बच गए थे. अकाली दल के प्रवक्ता दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि सुखबीर समेत अकाली नेतृत्व को अकाल तख्त के आदेश के अनुसार पहले ही धार्मिक दंड भुगतना पड़ा है.

उन्होंने कहा, ‘जब कोई धार्मिक दंड भुगतता है, तो वह शुद्ध हो जाता है और उसकी पिछली ग​लतियां माफ हो जाती हैं.’ हालांकि, इतिहासकार और अकाली राजनीति के विशेषज्ञ जगतार सिंह का कहना है कि अकाल तख्त का निर्देश अभी भी कायम है. उन्होंने कहा, ‘अकाल तख्त ने पार्टी को नया नेता चुनने का निर्देश दिया था, क्योंकि मौजूदा नेतृत्व को अयोग्य माना गया था.’ सुखबीर की उम्मीदवारी का समर्थन करने वाले एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘जीत और हार राजनीति का हिस्सा हैं. उन्होंने पार्टी को कई जीत दिलाई, और कुछ नेताओं द्वारा कठिन समय में उनका साथ छोड़ देना अनुचित और स्वार्थी व्यवहार था.’

सुखबीर सिंह बादल की शिअद में बढ़ी साख

एक अन्य प्रभावशाली नेता ने सुखबीर सिंह बादल की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वे पंथ के समक्ष उपस्थित हुए और धार्मिक दंड से गुजरे. उन्होंने कहा, ‘वह एक नई शुरुआत कर रहे हैं और पार्टी को विकास और प्रगति की ओर ले जाने में सक्षम एकमात्र नेता हैं. कार्यकर्ता उनके पीछे एकजुट हो रहे हैं, खासकर तब जब वह स्वर्ण मंदिर के बाहर तनखवा के दौरान जानलेवा हमले में बाल-बाल बच गए थे.’ पार्टी के भीतर कॉरपोरेट जैसी राजनीतिक संस्कृति शुरू करने के लिए सुखबीर सिंह बादल को भविष्य के नेता के रूप में सराहा गया. हालांकि, 2017 के विधानसभा चुनाव से शुरू होने वाली लगातार चुनावी हार के कारण उनके खिलाफ पार्टी में असंतोष बढ़ता गया.

पंजाब की राजनीति में एक नया अध्याय शुरू

साल 2007 से 2017 तक पंजाब पर शासन करने के बाद, 2022 के विधानसभा चुनाव में शिअद सिर्फ 3 विधायकों और 2024 के लोकसभा चुनावों में 1 सांसद तक सिमट कर रह गई. अमृतसर के तेजा सिंह समुंदरी हॉल में हुए अकाली दल के संगठनात्मक चुनाव से पंजाब की राजनीति में एक नया अध्याय शुरू होने की उम्मीद है, खास तौर पर अकाल पंथ के भीतर. खडूर साहिब के सांसद और खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह समेत कट्टरपंथी पहले ही एक नया अकाली दल बनाने की योजना की घोषणा कर चुके हैं. इस बीच, अकाली दल के बागियों के लिए आगे का रास्ता अनिश्चित बना हुआ है, जिन्होंने पहले अकाल दल सुधार समिति बनाई थी. वे या तो अकाली दल का नेतृत्व करने के लिए ‘असली अकाली’ होने का दावा कर सकते हैं या एक नया राजनीतिक संगठन बना सकते हैं.

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