Uttar Pradesh: सुल्तानपुर में स्थाई लोक अदालत ने पीड़ित को मानसिक पीड़ा व मुकदमे का खर्च भी देने का आदेश दिया है, जबकि बालक की मौत पर विद्युत विभाग दो लाख रुपए की क्षतिपूर्ति पहले ही भुगतान कर चुका है.
जून 2016 की है घटना
जयसिंहपुर के बाबू का पुरवा बरौसा निवासी धीरज उनकी पत्नी निशा देवी ने विद्युत वितरण विभाग के अधिशासी अभियंता और उप खंड अधिकारी के विरुद्ध साल 2017 में वाद दायर किया था. बेटे की मृत्यु पर विद्युत विभाग से 52 लाख रूपये की क्षतिपूर्ति दिलाने की याचना की थी। माता-पिता कहना था कि, 26 जून 2016 को उनका पुत्र घर के बाहर खेल रहा था, तभी बिजली के खम्भे में लगें स्टे रॉड में उतरे करंट की चपेट में आ गया और उसकी मृत्यु हो गई.
पुलिस ने नहीं लिखी थी एफआईआर
दूसरे दिन पुलिस आई पंचनामा व शव का पोस्टमॉर्टम करवाया. लेकिन कई बार प्रार्थना पत्र देने के बाद भी एफआईआर नहीं लिखी गई. बिजली विभाग ने भी नहीं सुनवाई किया तब मुकदमा दायर किया. बिजली विभाग के अफसरों ने मौत के लिए खुद व महकमे को जिम्मेदार नहीं माना. लेकिन यह भी कहा कि दौरान मुकदमा याची गण को उनके बेटे की मृत्यु के लिए दो लाख का भुगतान किया जा चुका है.
6 प्रतिशत ब्याज सहित 25 हजार रुपये करें अदा स्थाई लोक अदालत के अध्यक्ष राधेश्याम यादव, सदस्यगण मृदुला राय व रमेश कुमार ने माना कि मुकदमे बाजी के लिए मजबूर करने के लिए हुई मानसिक पीड़ा और न्यायालय तक आने जाने के लिए बिजली विभाग दोनों को 6 प्रतिशत ब्याज सहित 25 हजार रुपये अदा करे.