सुपौल: बसंतपुर प्रखंड अंतर्गत भगवानपुर पंचायत में मंगलवार की देर शाम नेपाल से आए तेंदुए ने चार लोगों को जख्मी कर दिया. हालांकि सूचना पर वन विभाग की टीम रेस्क्यू के लिए पहुंची. लेकिन संसाधन के अभाव में रात को रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू नहीं हुआ. बुधवार की सुबह भागलपुर से एक्सपर्ट टीम बुलाई गई. जिसके बाद सुबह करीब 10 बजे सर्च ऑपरेशन शुरू किया गया. शाम 5 बजे तक 50 से 60 वन कर्मियों की टीम तेंदुए की तलाश में जुटी थी. इधर, मंगलवार की रात एक बार फिर भगवानपुर सहित आसपास के इलाके में लोगों के लिए भयावह रही. तेंदुए के खौफ की वजह से लोग रतजगा करते रहे. वही वन विभाग की व्यवस्था पर भी लोगों ने सवाल खड़े किए हैं. आपको बता दें बसंतपुर प्रखंड नेपाल सीमा से सटा हुआ है. बसंतपुर के भीमनगर से नेपाल के मृग वन की दूरी महज 12 से 13 किलोमीटर है. वर्ष 2008 की कुशहा त्रासदी के बाद से ही इलाके में अक्सर जंगली जानवरों के प्रवेश की खबरें सामने आती रही हैं. बीते साल 29 सितंबर को कोसी बराज से रिकॉर्ड 6 लाख 61 हजार 295 क्यूसेक पानी का डिस्चार्ज रिकॉर्ड हुआ था. तब कोसी नदी का पानी मृग वन के इलाके में भी फैल गया था. जिसके बाद बसंतपुर के इलाके में जंगली जानवरों के प्रवेश में और भी तेजी सामने आई है. लेकिन इलाके में वन विभाग के एक्सपर्ट टीम की तैनाती नहीं की गई है.
बीते 02 अक्टूबर 2024 को भगवानपुर पंचायत के रानीगंज में ही जंगली भैंसे का आतंक सामने आया था. भैंसे ने रानीगंज वार्ड 2 निवासी भुवनेश्वर मंडल और मुकेश कुमार की जान ले ली. आक्रोश में लोगों ने विरोध प्रदर्शन भी किया. घटना के चार दिन बाद छपरा से एक्सपर्ट टीम पहुंची. काफी मशक्कत के बाद एक भैंसे को मारा गया. जबकि अन्य को नेपाल की ओर भगाया गया.
एक साल पूर्व लगा संयंत्र, अलर्ट नहीं कर पा रहा
दरअसल, जनवरी 2023 में वन विभाग ने इलाके में जंगली जानवरों से बचाव के लिए नेपाल सीमा पर 5 किलोमीटर के दायरे में सोलर एनिमल रेपेलेंट सिस्टम लगाया था. एक संयंत्र पर करीब 15 हजार रुपए खर्च किए गए और भीमनगर पंचायत के शैलेशपुर से वीरपुर नगर पंचायत के सीमा स्थित फतेपुर गांव तक करीब 4 दर्जन संयंत्र लगाए गए. संयंत्र जंगली जानवरों के प्रवेश पर सायरन के माध्यम से लोगों को अलर्ट करता है. स्थानीय लोग बताते हैं कि संयंत्र लगने के बाद से जंगली हाथियों के प्रवेश में कमी आई है. लेकिन अन्य जानवरों का प्रवेश निरंतर जारी है. संयंत्र लोगों को अलर्ट नहीं कर पाता है.
एक्सपर्ट बोले- अभी मेच्योर नहीं हुआ है तेंदुआ, ज्यादा खतरनाक हो सकता था
वन्य प्राणी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ संजीत कुमार ने बताया तस्वीर देखने से प्रतीत हुआ कि ये तेंदुआ अभी मेच्योर नहीं हुआ है. टाइगर, लियोपार्ड आदि बिल्ली प्रजाति का सबसे छोटा जानवर होता है. यह बेहद ताकतवर, खतरनाक एवं इनके पंजे के नाखून बड़े बड़े होते है. इनकी स्पीड 60 से 70 किलोमीटर प्रति घंटा होती है. यह सामने से कभी वार नहीं करता है. हमेशा छिप कर ही वार करता है. तेंदुए हमेशा बकड़ी, मुर्गा, बंदर आदि जैसे छोटे-छोटे जीव का शिकार करते हैं, बड़े जानवर का शिकार नहीं करते हैं. कभी-कभी गाय का भी शिकार कर उन्हें पकड़ कर पेड़ पर लेकर चले जाते हैं. ये अपने साथ दो क्विंटल तक का वजन लेकर पेड़ पर चढ़ कर खाते हैं. अगर कमरे में बंद रहता तो डॉट गन से नारकोटिक्स का प्रयोग कर किया जाता. ट्रेंकुलाज़र गन से इंटरेमस्कुलर दवा देने पर 5 से 7 मिनट में बेहोश हो जाता. इनके प्रयोग से 30 से 40 मिनट तक बेहोश रहेगा. इसी बीच पड़कर कैज में डाल दिया जाता है. इसके बाद रिवाइवल दिया जाता है. ताकि पुनः स्वस्थ अवस्था में आ जाए.
रेंजर बोले- जल्द कर लेंगे रेस्क्यू
रेंजर अजय कुमार ठाकुर ने बताया कि भागलपुर से विशेष टीम बुलाई गई है. 50-60 की संख्या में वन विभाग के कर्मियों द्वारा सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है. जल्द ही तेंदुए का रेस्क्यू कर लिया जाएगा. रेस्क्यू के बाद ही वन विभाग की टीम वापस लौटेगी. फिलहाल लोगों को सतर्क एवं सुरक्षित रहने की आवश्यकता है.