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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा पैदल यात्रियों के लिए दाहिनी तरफ चलने का नियम कब लागू होगा

सुप्रीम कोर्ट ने जबलपुर के एक सेवानिवृत्त अभियंता की याचिका पर केंद्र सरकार और नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने दोनों पक्षों को चार सप्ताह के भीतर विस्तृत जवाब देने के निर्देश दिए हैं। याचिकाकर्ता ज्ञानप्रकाश का तर्क है कि पैदल यात्रियों की सुरक्षा के लिए दाहिनी तरफ चलने का नियम बनाना आवश्यक है।

याचिकाकर्ता ने 2022 के सड़क हादसों के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि 50 हजार मौतों में से 18 हजार पैदल यात्रियों की जान गई। यह कुल मौतों का 36 प्रतिशत है। 2017 में भी राष्ट्रीय राजमार्गों पर 53,181 मौतें हुई थीं। याचिकाकर्ता ने बताया कि राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम 2002 और राजमार्ग प्रशासन नियम 2004 का सही ढंग से पालन नहीं हो रहा और कई राजमार्गों पर भूमि अतिक्रमण भी जारी है। 21 मई 2025 को शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को देशभर के राजमार्गों पर ट्रैफिक कंट्रोल और अतिक्रमण हटाने के लिए गाइडलाइन जारी की थी, लेकिन इसका क्रियान्वयन पर्याप्त नहीं हुआ।

ज्ञानप्रकाश ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि मोटर व्हीकल एक्ट 1988 वर्ष 1958 में विएना में हुए अंतरराष्ट्रीय सड़क परिवहन समझौते से प्रेरित है। इसके अनुसार पैदल यात्रियों को दाहिनी तरफ चलने की व्यवस्था करने से सामने से आने वाले वाहनों को आसानी से देखा जा सकता है और सुरक्षा सुनिश्चित होती है। याचिकाकर्ता का कहना है कि केंद्र सरकार इस नियम को बनाने में गंभीर नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और एनएचएआई को 10 नवंबर तक सभी तथ्यों, आंकड़ों और उपायों सहित शपथ पत्र पर विस्तृत जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि सड़क सुरक्षा केवल नियम बनाने से नहीं, बल्कि नियमों का पालन सुनिश्चित कराने से ही संभव है।

इस मामले में ध्यान आकर्षित करने वाली बात यह है कि देश में सड़क हादसों में पैदल यात्रियों की मौतें लगातार बढ़ रही हैं। दाहिनी तरफ चलने का नियम लागू होने से दुर्घटनाओं को कम करने और पैदल यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद मिल सकती है। कोर्ट की कार्रवाई से सरकार पर इस दिशा में कदम उठाने का दबाव बढ़ गया है।

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