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1984 के सिख विरोधी दंगों में मुकदमों की स्थिति पर हलफनामा दायर करे केंद्र, सुप्रीम कोर्ट का निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र सरकार को 1984 के सिख विरोधी दंगों को लेकर नया फरमान जारी किया है. सुप्रीम कोर्ट ने मुकदमों की स्थिति पर केंद्र सरकार से दो सप्ताह के भीतर ताजा स्थिति पर रिपोर्ट दाखिल करने कहा है. सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस अभय एस ओका और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ में इस मामले की सुनवाई हुई. खंडपीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है. इसके साथ ही याचिकाकर्ताओं को भी विस्तृत आपत्तियां दाखिल करने को कहा है.

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सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले विशेष जांच दल का गठन किया था. उसकी सिफारिशों को लागू किया गया है.

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से पेश हुए वकील ने एक एफआईआर का जिक्र किया और कहा कि एसआईटी रिपोर्ट से यह सामने आया है कि एक एफआईआर में 500 ​​मामलों को जोड़ दिया गया था, ताकि जांच अधिकारी उनकी जांच नहीं कर सके.

लगभग 5 साल बाद जस्टिस एसएन ढींगरा की अध्यक्षता में गठित SIT, जिसने उन लगभग 200 एंटी-सिख दंगों के मामलों की पुनः जांच की संभावना का मूल्यांकन किया था, जिन्हें सभी आरोपी बरी होने के बाद बंद कर दिया गया था. अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंप चुकी थी।

इस रिपोर्ट के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को गृह मंत्रालय से 2 सप्ताह के भीतर SIT की सिफारिशों के कार्यान्वयन पर एक स्थिति रिपोर्ट मांगी.

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कही ये बात

उन्होंने कोर्ट का ध्यान इस ओर आकर्षित करते हुए कहा कि 498 मामलों को एक ही एफआईआर में जोड़ दिया गया. आईओ ने शुरू में उनकी जांच की. कोर्ट को लगा कि इसे केवल दिल्ली तक ही सीमित रखा गया, लेकिन अन्य राज्यों के बारे में कुछ नहीं किया गया. बोकारो, कानपुर आदि के उदाहरण भी दिए गए, लेकिन उनका कुछ भी नहीं हुआ. इस पर कोर्ट ने कहा कि वह सभी पहलुओं पर विचार करेगी.

इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुई थी हिंसा

बता दें कि साल 1984 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके अंगरक्षकों द्वारा हत्या कर दी गई थी. उसके बाद दिल्ली में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी और सिख समुदाय के लोगों निशाना बनाया गया था. 40 साल बाद इस घटना को लकेर कई बड़े मोड़ आए हैं.

नानावटी आयोग की रिपोर्ट कहा गया था कि दिल्ली में कुल 587 प्राथमिकी दर्ज की गई थी और इसमें 2,733 लोगों की मौत हुई थी. पुलिस ने करीब 240 मामलों को “अज्ञात” बताया था और उसे बंद कर दिया था, जबकि 250 मामलों में लोगों को कोर्ट ने बरी कर दिया था. वहीं, सीबीआई ने तीन लोगों की हत्या के मामले में कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी.

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