सुप्रीम कोर्ट ने बाढ़ पर जताई चिंता, कहा- ‘प्रकृति से छेड़छाड़ का बदला इंसान चुका रहा है’

उत्तर भारत इन दिनों भीषण बाढ़ और जल प्रलय से जूझ रहा है। पंजाब, उत्तराखंड, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में लगातार बारिश और नदियों के उफान से हालात बेकाबू हो गए हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इंसान ने प्रकृति के साथ लगातार छेड़छाड़ की है और अब उसका खामियाजा उसे ही भुगतना पड़ रहा है।

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा कि अवैध पेड़ कटाई, अवैध खनन और अनियोजित कंस्ट्रक्शन ने नदियों और पर्यावरण का संतुलन बिगाड़ दिया है। कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा, “जब इंसान प्रकृति से छेड़छाड़ करता है तो प्रकृति भी बदला लेती है। आज जो हालात बने हैं, वे उसी का नतीजा हैं।”

सुनवाई में यह भी सामने आया कि पंजाब, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में बड़े पैमाने पर जंगलों की कटाई और नदियों के किनारे अवैध निर्माण हुआ है। इसी वजह से बारिश के दौरान पानी को बहाव का प्राकृतिक रास्ता नहीं मिल रहा और बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो रही है। कोर्ट ने कहा कि सरकारें केवल आपदा आने के बाद राहत-बचाव पर ध्यान देती हैं, जबकि असली जरूरत दीर्घकालिक समाधान की है।

न्यायालय ने केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश दिया है कि वे तुरंत प्रभावित इलाकों का सर्वे कराएं और यह सुनिश्चित करें कि अवैध निर्माण और खनन पर रोक लगे। साथ ही, कोर्ट ने सुझाव दिया कि पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के लिए स्थानीय स्तर पर सख्त कानून लागू किए जाएं।

वहीं, हाल के दिनों में आई भीषण बाढ़ से हजारों लोग बेघर हो गए हैं और कई जानें जा चुकी हैं। पंजाब और उत्तराखंड में अब भी राहत-बचाव अभियान जारी है। सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी न केवल सरकारों बल्कि समाज के लिए भी चेतावनी है कि अगर पर्यावरण के साथ छेड़छाड़ जारी रही तो भविष्य में और भी खतरनाक हालात देखने को मिल सकते हैं।

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