रायपुर। छत्तीसगढ़ में कोल घोटाले के दो बड़े आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. जहां सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने कोल लेवी मामले में आईएएस रानू साहू और दीपेश टांक की अंतरिम जमानत मंजूर कर दी है. आईएएस अधिकारी रानू साहू काफी लंबे समय से जेल में बंद हैं.
कोल लेवी मामले में आईएएस रानू साहू और दीपेश टांक को प्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिल गई है. ईडी ने में जांच के बाद 540 करोड़ के कोल लेवी स्कैम का खुलासा किया था. इसमें आइएएस रानू साहू के अलावा आइएएस समीर विश्नोई, सौम्या चौरसिया, जेडी माइनिंग एसएस नाग और कारोबारी सूर्यकांत तिवारी को गिरफ्तार किया. इसके अलावा कांग्रेस नेता और कुछ कारोबारी भी ईडी के जांच के दायरे में है. इन लोगों से पूछताछ की गई है और इनके घरों से कुछ दस्तावेजों को भी जब्त किया गया है.
ईओडब्ल्यू और एसीबी ने दर्ज की तीन नई एफआईआर
वहीं ईओडब्ल्यू और एसीबी ने तीन नई एफआईआर दर्ज की है. निलंबित आईएएस रानू साहू, समीर बिश्नोई और निलंबित राप्रसे अधिकारी सौम्या चौरसिया के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत यह मामले दर्ज हुए हैं. तीनों के खिलाफ अलग-अलग मामले में एफआईआर दर्ज हुई है.
आय से अधिक संपत्ति होने की पुष्टि
बता दें, ईओडब्ल्यू ने सौम्या चौरसिया और उनके परिवार के नाम 9 करोड़ 20 लाख रुपए की 29 अचल संपत्ति होने की पुष्टि की है. इधर, रानू साहू पर साल 2015 से 2022 तक करीब चार करोड़ रुपए की अचल संपत्ति खुद के नाम से और पारिवारिक सदस्यों के नाम से खरीदने का आरोप लगा है. जबकि उनके सेवा में आने के बाद से 2022 तक का कुल वेतन 92 लाख रुपए बताया जा रहा है.
समीर बिश्नोई के पास 5 करोड़ रुपए की अचल संपत्ति
समीर बिश्नोई की बात की जाए तो उनके पास साल 2010 से 2022 तक का कुल वेतन 93 लाख रुपए है. इस दौरान उन्होंने अपनी पत्नी प्रीति गोधरा के नाम से 5 करोड़ रुपए की कई अचल संपत्ति ले रखी है. जो उनके वेतन से 500 गुना ज्यादा है.