सुप्रीम कोर्ट ने मानसिक रूप से कमजोर बेटे की कस्टडी अमेरिकी मां को सौंपी, पिता को दिया ये आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मानसिक रूप से कमजोर एक युवक की देखभाल की जिम्मेदारी उसकी अमेरिकी मां को सौंप दी. साथ ही अपने साथ अमेरिका ले जाने की अनुमति भी दे दी. कोर्ट ने यह भी कहा कि पीड़ित युवक के हित में यही सही है क्योंकि वह स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने में असमर्थ है. जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि 22 वर्षीय युवक की मानसिक स्थिति आठ से 10 साल के बच्चे की जैसी है.

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पीठ ने युवक के पिता से कहा कि वह उसे अपनी मां के साथ अमेरिका लौटने से नहीं रोकें. वह सेरेब्रल पाल्सी नामक बीमारी से पीड़ित है. इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति की मांसपेशियां कमजोर हो जाती है वह चलने-फिरने में असमर्थ होता है और उसका मानसिक विकास भी नहीं हो पाता.

मां के कस्टडी में रहने की अनुमति

दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मानसिक रूप से कमजोर एक युवक को उसकी अमेरिकी नागरिक मां के कस्टडी में रहने की अनुमति दे दी. कोर्ट ने कहा कि यह उसके हित में है, क्योंकि वह निर्णय नहीं ले सकता है. कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ मां शर्मिला वेलामुर की याचिका पर सुनवाई की. हाईकोर्ट ने कहा था कि पिता ने चेन्नई में बेटे को अवैध रूप से बंधक बनाकर नहीं रखा.

मद्रास हाईकोर्ट में सुनवाई

शर्मिला वेलामुर ने दावा किया कि उनके तलाक के बाद, जब अमेरिका के इदाहो में बेटे की कस्टडी और मध्यस्थता की कार्यवाही लंबित थी, पिता बेटे के साथ अमेरिका से चेन्नई चले गए और उनका पता नहीं चल पाया. मद्रास हाईकोर्ट ने बेटे से बातचीत की, उससे कई सवाल पूछे और जवाबों के आधार पर यह निर्धारित किया कि उसे अवैध रूप से बंधक बनाकर नहीं रखा गया था.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बेटे को निमहान्स, बेंगलुरु में चिकित्सा मूल्यांकन से गुजरने का निर्देश दिया गया था, और विशेषज्ञों की रिपोर्ट से पता चला कि वह आठ से 10 साल के बच्चे के स्तर पर काम कर रहा था और खुद से निर्णय लेने में असमर्थ था.

बेटे के साथ अमेरिका लौटने का निर्देश

कोर्ट ने रिपोर्टों का हवाला देते हुए कहा कि हल्के बौद्धिक विकास संबंधी विकार और सेरेब्रल पाल्सी के कारण उसकी समग्र दिव्यांगता की सीमा 80 प्रतिशत के साथ गंभीर दिव्यांगता की श्रेणी में आती है. कोर्ट ने वेलामुर को 15 दिन के भीतर बेटे के साथ अमेरिका लौटने का निर्देश दिया. साथ ही पिता को भी आदेश दिया कि वह उन लोगों की वापसी में कोई बाधा उत्पन्न न करें.

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