AI से रोजगार जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट चिंतित, EV नीति पर सरकार से 4 हफ्ते में मांगा जवाब

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) के बढ़ते इस्तेमाल से ड्राइवरों के रोजगार पर पड़ने वाले असर को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर चिंता जताई है. सोमवार को इस मुद्दे पर सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि मेरी चिंता यह है कि एआई ड्राइवरों के रोजगार को खत्म न कर दे. भारत में ड्राइवरी एक बड़ा रोजगार का स्रोत है.

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यह टिप्पणी सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (CPIL) की याचिका पर सुनवाई के दौरान आई, जिसमें सरकार की ईवी नीतियों के प्रभावी क्रियान्वयन पर सवाल उठाए गए थे. अदालत ने ईवी के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए समय-समय पर केंद्र सरकार द्वारा किए गए नीतिगत निर्णयों पर जानकारी पेश करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया है. मामले की अगली सुनवाई अब 14 मई को होगी.

प्रशांत भूषण ने उठाया प्रदूषण और EV ढांचे का मुद्दा

वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने अदालत में तर्क दिया कि भारत के 15 में से 14 शहर दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल हैं. उन्होंने कहा कि सरकार अगर वाकई ईवी को बढ़ावा देना चाहती है, तो उसे पहले बुनियादी ढांचा मजबूत करना होगा. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि अगर किसी को दिल्ली से 400 किलोमीटर दूर पालमपुर जाना हो, तो पूरे रास्ते चार्जिंग स्टेशन की व्यवस्था होनी चाहिए. जस्टिस कांत ने कहा कि यह केवल सरकार नहीं है, अन्य संस्थान भी हैं.

AI तकनीक से बार (वकील वर्ग) भी चिंतित

जस्टिस सूर्यकांत ने AI की तेजी से बढ़ती तकनीक पर भी चिंता जताते हुए कहा कि AI का एक मॉड्यूल कुछ ही महीनों में अप्रचलित हो जाता है. अमेरिका में तो AI आधारित अधिवक्ताओं ने कोर्ट में तर्क भी दिए हैं. यह बार के लिए भी एक गंभीर विषय है.

इस दौरान अधिवक्ता भूषण ने एक निजी अनुभव साझा करते हुए बताया कि उनके बेटे ने कैलिफोर्निया में एक AI संचालित उबर कार में यात्रा की, जिसमें कोई ड्राइवर मौजूद नहीं था.

सरकार से मांगा जवाब, अगली सुनवाई 14 मई को

अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने अदालत से कुछ समय की मांग की. इस पर अदालत ने केंद्र सरकार को चार हफ्तों का समय देते हुए कहा कि वह ईवी को लेकर अपनी नीतियों और अब तक किए गए प्रयासों की जानकारी अदालत को मुहैया कराएं.

सीपीआईएल की याचिका में व्यावसायिक (इलेक्ट्रिक वाहन) ईवी को बढ़ावा देने के लिए मौजूदा नीतियों और पहलों, जैसे कि NEMMP 2020 और नीति आयोग के नीति ढांचे के अपर्याप्त कार्यान्वयन के बारे में सरकार की चिंताओं को उठाया गया है.

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