बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने सुप्रीम कोर्ट को लेकर एक ऐसा बयान दिया है जिसपर सियासी भूचाल मच गया है. निशिकांत दुबे ने कहा कि देश में जितने गृह युद्ध हो रहे हैं, उनके लिए सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस जिम्मेदार हैं. साथ ही आरोप लगाया कि सर्वोच्च न्यायालय देश में धार्मिक युद्ध भड़काने के लिए जिम्मेदार है. हालांकि, बीजेपी ने निशिकांत दुबे के बयान से किनारा कर लिया है.
दरअसल, झारखंड के गोड्डा से 4 बार के सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट अपनी सीमाओं से आगे जा रहा है, उन्होंने कहा कि अदालत संसद द्वारा पारित कानूनों को रद्द कर रही है और यहां तक कि राष्ट्रपति को निर्देश दे रही है, जो सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की नियुक्ति करते हैं. उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 368 के तहत कानून बनाना संसद का काम है और अदालत की भूमिका कानून की व्याख्या करना है. उन्होंने कहा कि अगर हर काम के लिए सुप्रीम कोर्ट ही जाना है, तो क्या संसद को बंद कर देना चाहिए. बीजेपी सांसद ने आगे कहा कि सब चीजों के लिए कानून बना है तो फिर सुप्रीम कोर्ट नया कानून कहां से और कैसे बना रहा है.
बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने पूछा कि आप नियुक्ति प्राधिकारी को निर्देश कैसे दे सकते हैं? राष्ट्रपति भारत के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति करते हैं, संसद इस देश का कानून बनाती है. आप उस संसद को निर्देश देंगे?
बीजेपी का निशिकांत दुबे के बयान से किनारा
वहीं, निशिकांत दुबे के बयान से किनारा करते हुए बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने X पर एक पोस्ट में कहा कि भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और दिनेश शर्मा का न्यायपालिका और देश के चीफ जस्टिस पर दिए गए बयान से भारतीय जनता पार्टी का कोई लेना-देना नहीं है. यह इनका व्यक्तिगत बयान है. भाजपा ऐसे बयानों से न तो कोई इत्तेफाक रखती है और न ही कभी भी ऐसे बयानों का समर्थन करती है. भाजपा इन बयान को सिरे से खारिज करती है. भारतीय जनता पार्टी ने सदैव ही न्यायपालिका का सम्मान किया है, उनके आदेशों और सुझावों को सहर्ष स्वीकार किया है. क्योंकि एक पार्टी के नाते हमारा मानना है कि सर्वोच्च न्यायालय सहित देश की सभी अदालतें हमारे लोकतंत्र का अभिन्न अंग हैं. साथ ही संविधान के संरक्षण का मजबूत आधारस्तंभ हैं. नड्डा ने कहा कि मैंने इन दोनों को और सभी को ऐसे बयान ना देने के लिए निर्देशित किया है.’
बीजेपी सांसद के बयान पर हंगामा
निशिकांत की ये टिप्पणी हाल ही में पारित वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के बीच आई है. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ‘वक्फ बाय यूजर’ प्रावधान समेत अधिनियम के कुछ प्रावधानों पर सवाल उठाए थे. तब सरकार ने शीर्ष अदालत को आश्वासन दिया था कि वह 5 मई को अगली सुनवाई तक वक्फ (संशोधन) अधिनियम के कुछ हिस्सों को लागू नहीं करेगी. लेकिन निशिकांत दुबे के बयान पर अब सियासत गरमा गई है. कांग्रेस ने इसे न्यापालिका पर आघात करार दिया तो वहीं, कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने कहा कि जो भी व्यक्ति थोड़ा बहुत भी कानूनी सिस्टम को समझता है, वो कभी भी न्यायपालिका पर ऐसी टिप्पणी नहीं करेगा.
न्याय व्यवस्था में अंतिम फैसला सरकार का नहीं: सलमान खुर्शीद
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के सुप्रीम कोर्ट पर दिए गए बयान पर कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने कहा कि अगर कोई सांसद सुप्रीम कोर्ट या किसी भी अदालत पर सवाल उठाता है, तो यह बहुत दुख की बात है. हमारी न्याय व्यवस्था में अंतिम फैसला सरकार का नहीं, सुप्रीम कोर्ट का होता है, अगर कोई यह बात नहीं समझता है तो यह बहुत दुख की बात है.
AAP ने साधा निशाना
वहीं, आम आदमी पार्टी की प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने कहा कि निशिकांत दुबे ने बहुत घटिया बयान दिया है. मुझे उम्मीद है कि कल ही सुप्रीम कोर्ट भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेकर अवमानना की कार्यवाही शुरू करेगा और उन्हें जेल भेजेगा. जब भी कोई जज भाजपा के पक्ष में फैसला देता है, तो उसे राज्यसभा भेज दिया जाता है और अब जब एक जज ने निर्देश दिया कि कानून का पालन किया जाना चाहिए और राज्यपालों को बिलों पर अनिश्चित काल तक नहीं बैठना चाहिए तो भाजपा ने जजों को बदनाम करने और सुप्रीम कोर्ट पर हमला करने के लिए अपने सारे संसाधन लगा दिए हैं.
‘सुप्रीम कोर्ट को कमजोर करने की कोशिश कर रहे निशिकांत’
निशिकांत दुबे के सुप्रीम कोर्ट पर दिए गए बयान पर कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं. संवैधानिक पदाधिकारी, मंत्री, भाजपा सांसद सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ बोल रहे हैं, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट एक बात कह रहा है कि जब कोई कानून बनाया जाता है तो आपको संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ नहीं जाना चाहिए और अगर कानून संविधान के खिलाफ है, तो हम उसे स्वीकार नहीं करेंगे. जानबूझकर, सुप्रीम कोर्ट को निशाना बनाया जा रहा है, क्योंकि इलेक्टोरल बॉन्ड जैसे कई मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सरकार द्वारा जो किया गया है वह असंवैधानिक है