टेक्नोलॉजी कभी-कभी घातक भी हो जाती है। आप जो कुछ बोल रहे हैं वो सब रिकॉर्ड हो रहा है और अगले दिन यू ट्यूब पर अपलोड भी हो जाता है। ऐसे में ब्रदर जजों और वकील दोनों को कहना चाहूंगा कि भाषा की मर्यादा का ध्यान रखे। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधिपति न्यायमूर्ति एससी शर्मा ने इंदौर में यह हिदायद दी। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधिपति न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी ने भी तकनीक के उपयोग को लेकर सचेत किया।
टेक्नोलॉजी को लेकर किया सचेत
मप्र के चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा और उच्चन्यायालय ग्वालियर खंडपीठ के प्रशासनिक न्यायमूर्ति आनंद पाठक ने भी इंदौर में जजों और वकीलों को न्यायदान में प्रौद्योगिकी और फारेंसिक साइंस विषय के उपयोग पर सचेत किया। अधिवक्ता परिषद द्वारा स्थानीय रविंद्र नाट्यगृह में एक दिवसीय संगोष्ठी शनिवार को आयोजित की गई।
अधिवक्ता परिषद की हाई कोर्ट और जिला कोर्ट इकाइयों द्वारा संयुक्त रूप से संगोष्ठी का आयोजन किया गया। सुबह 10 बजे से देर शाम तक आयोजित संगोष्ठी में न्यायिक प्रक्रिया में टेक्नोलॉजी और फारेंसिक साइंस का उपयोग व नई तकनीक पर चर्चा केंद्र में रही।
भाषा की मर्यादा का ध्यान रखने की दी हिदायत
मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी ने जजों से कहा कि हम तकनीक के उपयोग पर खुश हैं लेकिन हमारी स्टडी भी नहीं है। चीफ जस्टिस ने आइंस्टीन के क्रिया पर प्रतिक्रिया के सिद्धांत का हवाला देते हुए तकनीक के उपयोग में लापरवाही से दुर्घटना भी हो सकती है इसलिए सब्जेक्ट पर स्टडी जरुरी है। न्यायमूर्ति एससी शर्मा ने तंज किया कि कई जजों के नाम से यूट्यूब चैनल चल रहे हैं लेकिन मेरा ऐसा कोई चैनल नहीं है। कोर्ट रूम में 10-10 कैमरे लगे हैं। आप उन्हें बंद कर देंगे तो कोई वकील मोबाइल में रिकॉर्ड कर लेगा।
ऐसे में आप जो बोल रहे हैं वो अगले दिन यूट्यूब पर आ जाएगा। लिहाजा भाषा की मर्यादा का ध्यान रखें। अधिवक्ता परिषद के एडवोकेट सुनील जैन, प्रसन्ना भटनागर के अनुसार कार्यक्रम में इंदौर खंडपीठ के प्रशासनिक न्यायमूर्ति विवेक रुसिया, महाधिवक्ता प्रशांत सिंह समेत न्याय क्षेत्र के प्रमुख लोग शामिल हुए। चार सत्रों में न्यायिक प्रक्रिया व तकनीक की समझ बढ़ाने वाली जानकारियां दी गई।