उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद में एक स्कूल के मैदान में इस साल होने वाली रामलीला दोबारा आयोजित की जा सकेगी। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा रामलीला पर लगाई गई रोक को अस्थायी रूप से रोक दिया है। कोर्ट ने कहा कि यह मैदान लगभग 100 साल से रामलीला के आयोजन का स्थल रहा है और अचानक इसे रोकना उचित नहीं होगा।
सुप्रीम कोर्ट की तीन न्यायाधीशों की बेंच ने यह भी कहा कि हाईकोर्ट में याचिका तब दाखिल की गई थी जब रामलीला शुरू हो चुकी थी। याचिकाकर्ता सीधे प्रभावित नहीं है, और यदि वह बच्चों की पढ़ाई को लेकर चिंतित था तो उसे पहले याचिका दाखिल करनी चाहिए थी।
फिरोजाबाद के टूंडला के परिषदीय विद्यालय में होने वाली रामलीला के खिलाफ प्रदीप राणा ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि बच्चों के खेल के मैदान का अतिक्रमण किया गया है और इससे पढ़ाई को नुकसान पहुंच रहा है। याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि मैदान में सीमेंट की टाइल लगाई गई हैं, जो मैदान के स्वरूप को बिगाड़ रही हैं। इसके बाद हाईकोर्ट ने 22 सितंबर को रामलीला पर रोक लगा दी और प्रशासन ने कार्यक्रम रोक दिया।
रामलीला आयोजन कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि याचिकाकर्ता ने जानबूझकर उन्हें पक्ष में नहीं बनाया। हाईकोर्ट ने भी उनसे जवाब नहीं मांगा और सीधे रोक लगा दी। कमेटी ने बताया कि रामलीला शाम 7 से 10 बजे तक आयोजित होती है, इसलिए पढ़ाई पर इसका असर नहीं पड़ता। सीमेंट की टाइल बारिश से पानी बचाने के लिए लगाई गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आयोजन कमेटी हाईकोर्ट में पक्ष बनने के लिए आवेदन दे और हाईकोर्ट सभी पक्षों की सुनवाई करके निर्णय ले। फिलहाल रामलीला पर हाईकोर्ट द्वारा लगाई गई रोक को स्थगित किया जा रहा है। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता, रामलीला कमेटी और स्थानीय प्रशासन को सुनकर यह विचार किया जाए कि भविष्य में रामलीला के लिए स्कूल के मैदान की जगह कोई वैकल्पिक स्थल उपलब्ध कराया जा सके।
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जल्द सुनवाई करने के लिए हाईकोर्ट को कहा और सभी पक्षों को शामिल करने का निर्देश दिया। इस निर्णय से इलाके में लंबे समय से आयोजित होने वाली रामलीला का आयोजन फिर से शुरू हो सकेगा और बच्चों के खेल और पढ़ाई के लिए भी उचित व्यवस्था की जाएगी।