सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अंबानी परिवार के सदस्यों से जुड़ी Z+ सिक्योरिटी को लेकर बार-बार याचिका दायर करने पर याचिकाकर्ता को फटकार लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालतें किसी के लिए सुरक्षा की प्रकृति और सीमा तय नहीं कर सकतीं. अदालत ने आगे कहा, “सरकार खतरों का मूल्यांकन करने के बाद सुरक्षा प्रदान करती है. इस सेक्टर में प्रवेश करने का सुप्रीम कोर्ट का कोई काम नहीं है.”
जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस मनमोहन की बेंच ने याचिकाकर्ता विकास साहा को फटकार लगाई कि उन्होंने पिछले न्यायालय के आदेशों के बावजूद नई याचिका दायर कर दी है, जिसमें कहा गया था कि उनके पास ऐसे मुद्दे उठाने का कोई कानूनी आधार (स्थान) नहीं है. बेंच ने याचिका को ‘तुच्छ’ और ‘परेशान करने वाला’ बताते हुए खारिज किया. सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि जब हमने पहले ही कहा था कि इस मामले में उसका कोई अधिकार नहीं है, तो फिर से याचिका क्यों दायर की गई?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर खतरे की आशंका का मामला है, तो यह तय करने वाले आप कौन होते हैं? सरकार इसका फैसला करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को चेतावनी दी है कि अगर ऐसा दोबारा किया, तो भारी जुर्माना लगाया जाएगा.