बिहार में लगातार पुल गिरने की घटनाओं पर सुप्रीम कोर्ट सख्त हो गया है. एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है. हाल ही में भारी बारिश के कारण बिहार में 10 पुल ढह गए थे. इस पर एडवोकेट ब्रजेश सिंह ने एक याचिका दायर की है. याचिका में बिहार के सभी मौजूदा और निर्माणाधीन पुलों के हाई लेवल स्ट्रक्चरल ऑडिट करवाने की मांग की गई है. साथ ही कमजोर हो चुके ढांचों को ध्वस्त कर फिर से बनाने की मांग भी की गई है. इसके अलावा पुलों के गिरने की जांच के लिए एक हाई लेवल एक्सपर्ट कमेटी बनाने की मांग भी याचिका में की गई है.
इस याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने बिहार सरकार को नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) को भी नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
याचिका में क्या कहा गया?
ब्रजेश सिंह ने अपनी याचिका में कहा है कि एक के बाद एक पुलों का गिरना बताता है कि पिछली गलतियों से कोई सबक नहीं लिया गया और पुल जैसे अहम बुनियादी ढांचे की सुरक्षा को गंभीरता से नहीं लिया गया. उन्होंने अपनी याचिका में कहा कि ये महज दुर्घटनाएं नहीं, बल्कि मानव निर्मित आपदाएं हैं.
याचिका में कहा गया है कि बिहार भारत का सबसे ज्यादा बाढ़ प्रभावित राज्य है. यहां का 68,800 वर्ग किमी का इलाका बाढ़ प्रभावित है, जो कुल भौगोलिक क्षेत्र का 73.06% है. इसलिए बिहार में पुल गिरने की घटनाएं ज्यादा विनाशकारी हैं, क्योंकि इससे बड़े पैमाने पर लोगों की जान का खतरा है.
कहां-कहां ढहे थे पुल?
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, हाल ही में बिहार में पुल गिरने की कम से कम 10 घटनाएं सामने आई थीं. ये पुल सिवान, सारन, मधुबनी, अररिया, पूर्वी चंपारण और किशनगंज जिले में गिरे थे. दावा किया गया था कि भारी बारिश के चलते ये पुल गिरे हैं.
पुल ढहने की घटनाओं के मद्देनजर मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने रोड कंस्ट्रक्शन और रूरल वर्क्स डिपार्टमेंट को राज्य के सभी पुराने पुलों का सर्वे करने और तत्काल मरम्मत की जरूरत वाले पुलों की पहचान करने का निर्देश दिया था.