MSP पर केंद्र के रुख को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त, सरकार की चुप्पी पर उठे सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को लेकर चल रहे विवाद में केंद्र सरकार को दो हफ्ते का समय दिया है. अदालत ने केंद्र से यह स्पष्ट करने को कहा है कि वह MSP की कानूनी गारंटी के मुद्दे पर अपना रुख क्या है. इस मामले की अगली सुनवाई 29 जनवरी को होगी. यह याचिका वरिष्ठ वकील गुनिन्दर कौर गिल ने दायर की है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि केंद्र सरकार ने किसानों के साथ किए गए अपने वादे को अब तक पूरा नहीं किया है.

याचिका में उल्लेख किया गया है कि कृषि कानूनों को वापस लेने के बाद केंद्र ने 9 दिसंबर 2021 को एक प्रस्ताव पास किया था, जिसमें MSP को लेकर चर्चा की बात कही गई थी. लेकिन अब तक इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. याचिका में यह भी कहा गया है कि किसान लगातार अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं, लेकिन केंद्र सरकार ने उन्हें कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया. यह मामला न केवल किसानों के अधिकारों का है, बल्कि उनके जीवनयापन के लिए भी अहम है.

किसानों के साथ चर्चा के लिए जारी करें बयान- सुप्रीम कोर्ट

पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अदालत सीधे तौर पर केंद्र को इस प्रस्ताव को लागू करने का निर्देश नहीं दे सकती. हालांकि, अदालत ने यह सवाल उठाया था कि केंद्र सरकार इस मुद्दे पर बातचीत के लिए कोई पहल क्यों नहीं कर रही है. अदालत ने केंद्र से पूछा कि वह किसानों के साथ चर्चा के लिए अपनी तैयारियों का बयान क्यों नहीं जारी करता. अदालत का यह रुख किसानों के साथ संवाद और समाधान की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है.

किसान संगठनों और राजनीतिक दलों में नराजगी

केंद्र सरकार के इस मामले में अब तक के रुख को लेकर किसान संगठनों और राजनीतिक दलों के बीच नाराजगी बनी हुई है. विशेषज्ञों का मानना है कि यदि केंद्र सरकार MSP पर कोई ठोस कदम उठाने का संकेत देती है, तो इससे किसानों के साथ सरकार के रिश्ते बेहतर हो सकते हैं. अब देखना यह है कि सरकार अदालत को अपने जवाब में क्या रुख पेश करती है और क्या इस मामले में किसानों को राहत मिलने की उम्मीद बंधती है.

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