भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस संजीव खन्ना ने 6 बार संघों के अध्यक्षों से मुलाकात के बाद आश्वासन दिया कि दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के ट्रांसफर को वापस लेने की मांग पर विचार किया जाएगा. बता दें कि 14 मार्च को आग की घटना के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा के आवास से भारी मात्रा में जले हुए नोट मिले थे. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने उन्हें दिल्ली हाईकोर्ट से इलाहाबाद हाईकोर्ट स्थानांतरित करने का निर्णय लिया था
इलाहाबाद बार संघ के प्रमुख अनिल तिवारी ने कहा कि सीजेआई संजीव खन्ना ने जस्टिस यशवंत वर्मा के ट्रांसफर पर हमारी मांग पर विचार करने का आश्वासन दिया है. बार निकायों के प्रमुखों ने कहा कि सीजेआई ने उन्हें बताया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में ट्रांसफर के बाद भी जस्टिस वर्मा से न्यायिक कार्य वापस ले लिया जाएगा.
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बता दें कि आग की घटना के दौरान उनके आवास से नकदी बरामद होने के बाद जस्टिस वर्मा को दिल्ली हाईकोर्ट से इलाहाबाद हाईकोर्ट वापस भेज दिया गया था. दिल्ली हाईकोर्ट की रजिस्ट्री ने भी न्यायमूर्ति वर्मा को सौंपा गया न्यायिक कार्य वापस ले लिया
न्यायपालिका से भ्रष्टाचार खत्म करने की मांग
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के फैसले का इलाहाबाद बार संघ ने विरोध किया और अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी. एसोसिएशन ने कहा कि वह भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे न्यायाधीशों को बर्दाश्त नहीं करेगी. गुरुवार को सीजेआई के आश्वासन के बाद, बार निकाय ने कहा कि वह हड़ताल जारी रखने पर पुनर्विचार करेगा. सीजेआई को दिए गए अपने ज्ञापन में, बार निकायों ने कहा कि न्यायपालिका से भ्रष्टाचार को खत्म किया जाना चाहिए और सीजेआई से मामले में आपराधिक कानून लागू करने का आग्रह किया.
FIR दर्ज न होने पर उठाए सवाल
बार एसोसिएशन ने ये भी सवाल उठाया कि 14 मार्च की घटना के बावजूद कोई FIR अभी तक दर्ज क्यों नहीं की गई? उन्होंने कहा कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो देशभर के उच्च न्यायालयों के बार संघ धरना प्रदर्शन करेंगे. इस सप्ताह की शुरुआत में सीजेआई ने घटना की विस्तृत जांच करने के लिए तीन सदस्यीय पैनल का गठन किया, जिसने कानूनी हलकों में हलचल मचा दी है. हालांकि न्यायमूर्ति वर्मा ने आरोपों को खारिज करते हुए दावा किया कि उन्हें प्रेस में बदनाम किया जा रहा है.