कैशकांड में फंसे हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के लिए तैयार हो गया है. सूत्रों के मुताबिक इस मुद्दे पर अगले हफ्ते बेंच का गठन और सुनवाई होने की संभावना है. जस्टिस वर्मा के आवास पर अकूत नकदी बरामद हुई थी और आंतरिक कमेटी ने उन्हें इस मामले में दोषी बताया है. इसी वजह से सोमवार को उनके खिलाफ संसद के दोनों सदनों में महाभियोग प्रस्ताव का नोटिस दिया गया था.
कपिल सिब्बल ने उठाए कई मुद्दे
सुप्रीम कोर्ट चीफ जस्टिस बीआर गवई ने भरोसा दिया कि वो जल्द ही बेंच पीठ का गठन करेंगे. जस्टिस वर्मा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सीजेआई की कोर्ट के सामने इस याचिका में उठाए गए कई महत्वपूर्ण संवैधानिक मुद्दों का हवाला देते हुए जल्द सुनवाई की गुहार लगाई है.
जस्टिस वर्मा की तरफ से दायर की गई यह याचिका एक आंतरिक समिति की रिपोर्ट को चुनौती देती है, जिसमें दिल्ली स्थित उनके आधिकारिक आवास से बड़ी मात्रा में नकदी बरामद होने के मामले में जज को दोषी पाया गया था.
देश की सर्वोच्च अदालत में CJI ने कहा कि इस मामले पर मेरा सुनवाई करना उचित नहीं है क्योंकि मैं भी उसे कमेटी का हिस्सा था. हालांकि उन्होंने भरोसा दिया कि इस मामले पर जल्द सुनवाई की जाएगी. लिहाजा उपयुक्त बेंच का गठन किया जाएगा. इस मामले में जस्टिस वर्मा की याचिका के साथ-साथ मैथ्यू नेदुंबरा की भी अर्जी है जिसमें जस्टिस वर्मा के खिलाफ FIR दर्ज कर उचित कार्रवाई का आदेश देने की गुहार लगाई गई है.
अपने खिलाफ फैसले को दी चुनौती
दरअसल, सीजेआई एक बेंच की अगुवाई कर रहे थे जिसमें जस्टिस के विनोद चंद्रन और जॉयमाल्या बागची भी शामिल थे. जस्टिस वर्मा ने सर्वोच्च अदालत का दरवाजा खटखटाया है ताकि यह घोषित किया जा सके कि पूर्व सीजेआई संजीव खन्ना की ओर से उन्हें हटाने की सिफारिश असंवैधानिक और अधिकारहीन है.
यह मामला 14 मार्च को दिल्ली में जस्टिस वर्मा के आवास के एक आउटहाउस से बड़ी मात्रा में नकदी की बरामदगी से जुड़ा है. परिसर में लगी आग बुझाने के दौरान बड़ी मात्रा में नकदी मिली थी. उस समय, जस्टिस वर्मा दिल्ली हाई कोर्ट के जज के रूप में कार्यरत थे.
संसद में पद से हटाने का प्रस्ताव
मॉनसून सत्र के पहले दिन यानी सोमवार को लोकसभा और राज्यसभा में जस्टिस वर्मा को पद से हटाने के लिए महाभियोग प्रस्ताव का नोटिस दिया गया था. सरकार की ओर से जस्टिस वर्मा के खिलाफ लोकसभा प्रस्ताव लाया गया और सत्तापक्ष के 152 सांसदों ने इस महाभियोग प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए.
इसी तरह राज्यसभा में विपक्ष की तरफ से प्रस्ताव लाया गया है और इसे 50 से ज्यादा सांसदों ने अपना समर्थन दिया. जस्टिस वर्मा को उनके पद से हटाने के लिए सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों ही तैयार हैं. लेकिन यह प्रस्ताव पहले किस सदन में मंजूर किया जाता है, यह देखने वाली बात होगी. क्योंकि एक सदन में स्वीकार होने के साथ ही दूसरे सदन का प्रस्ताव खुद ही खारिज माना जाएगा. क्योंकि यह एक ही दिन दोनों सदनों में लाया गया है.