निठारी हत्याकांड में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, आरोपियों को राहत, CBI की याचिका खारिज

निठारी हत्याकांड में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. इस मामले में शीर्ष अदालत ने आरोपी सुरेंद्र कोली और मनिंदर सिंह पंढेर को राहत दी है. सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा बरी किए जाने के खिलाफ दायर CBI, यूपी सरकार और पीड़ित परिवारों की अपील खारिज कर दी. पंढेर के खिलाफ दायर अपील को भी कोर्ट ने खारिज कर दिया. हाईकोर्ट ने साक्ष्यों के अभाव में दोनों आरोपियों को दोषमुक्त करार दिया था.

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दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के 16 अक्टूबर, 2023 के आदेश को बरकरार रखा, जिसमें पंढेर और कोली को बरी कर दिया गया था और निचली अदालत की मौत की सजा को पलट दिया गया था. कोली और पंढेर दोनों पर 2006 में नोएडा के आसपास के इलाकों में बच्चों के साथ बलात्कार और हत्या का आरोप था.

 

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 16 अक्टूबर, 2023 को पंढेर को दो मामलों में और कोली को 12 मामलों में बरी कर दिया था. हाई कोर्ट ने सितंबर 2010 में पंढेर और कोली को मौत की सजा सुनाने वाले निचली अदालत के फैसले को पलट दिया था.

सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की 14 अपील

सुप्रीम कोर्ट ने 2006 के निठारी हत्याकांड मामले में आरोपी सुरेंद्र कोली को बरी करने के खिलाफ दायर 14 अपील खारिज की. शीर्ष अदालत ने कहा कि आरोपी सुरेंद्र कोली को बरी करने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले में कोई गड़बड़ी नहीं. कोर्ट ने कहा कि खुले नाले से पीड़ितों की खोपड़ियां और अन्य सामान सुरेंद्र कोली के बयान के बाद बरामद नहीं किए गए थे.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पुलिस द्वारा आरोपी का बयान दर्ज किए बिना की गई बरामदगी साक्ष्य कानून के तहत स्वीकार्य नहीं है. कोर्ट ने कहा कि केवल आरोपी की पहुंच वाले स्थान से की गई बरामदगी को ही साक्ष्य माना जा सकता है.

क्या है निठारी हत्याकांड?

निठारी हत्याकांड नोएडा के निठारी गांव में 2005-2006 के बीच हुआ एक जघन्य अपराध था. यह मामला दिसंबर 2006 में तब सामने आया, जब नोएडा के सेक्टर-31 में व्यवसायी मोनिंदर सिंह पंढेर की कोठी के पीछे एक नाले से कई बच्चों और महिलाओं के कंकाल बरामद हुए थे. इस कांड ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया और इसे भारत के सबसे कुख्यात आपराधिक मामलों में से एक माना जाता है.

इस मामले में आरोपी सुरेंद्र कोली को 16 में से 12 मामलों में और मोनिंदर पंढेर को 2 मामलों में फांसी की सजा सुनाई गई थी. 2014 में कोली की फांसी की सजा को कुछ मामलों में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उम्रकैद में बदल दिया.

अक्टूबर 2023 में, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सबूतों के अभाव और जांच में खामियों का हवाला देते हुए कोली और पंढेर को सभी मामलों में बरी कर दिया. कोर्ट ने सीबीआई की जांच को निराशाजनक बताया. इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था.

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