सूरजपुर: 30 स्कूली बच्चों को वाहनों में भरकर ले जा रहे थे रोपा लगवाने, रास्ते में ऑफिसरों ने दी दबिश, फिर…

सूरजपुर: छत्तीसगढ़ का सूरजपुर ज़िला, जो अक्सर शिक्षा और प्रशासनिक सक्रियता को लेकर चर्चा में रहता है. इस बार भी एक बेहद चौंकाने वाली घटना के चलते सुर्खियों में आया है. रामानुजनगर क्षेत्र के एक सुदूर गांव से 30 स्कूली बच्चों को खेतों में धान की रोपाई कराने के लिए गैरकानूनी तरीके से ले जाया जा रहा था. गाड़ियों में भरकर इन मासूम बच्चों को श्रमिकों की तरह खेतों में झोंका जा रहा था.

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जिला प्रशासन को सूचना मिली कि बच्चों को गाड़ियों में भरकर दूसरे गांव ले जाया जा रहा है, जहां उनसे रोपाई का कार्य करवाया जाना था. कलेक्टर एस. जयवर्धन के निर्देश पर तत्काल एक संयुक्त टीम बनाई गई, जिसमें बाल संरक्षण इकाई, पुलिस विभाग, श्रम विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग और चाइल्ड हेल्पलाइन की टीम शामिल थी.

जांच में पाया गया कि प्राथमिक स्तर के 12 बच्चे, मिडिल स्कूल के 10, हाईस्कूल स्तर के 5 और 3 बच्चे ऐसे भी थे जिनका किसी भी स्कूल में नामांकन नहीं था. इनमें से कई बच्चे 10 वर्ष से भी कम आयु के थे. वे सब गाड़ियों में चुपचाप बैठे थे, शायद उन्हें यह भी नहीं पता था कि वे क्या गलत कर रहे हैं.

बालश्रम की कीमत- बिस्किट और 300 रुपये

पूछताछ में पता चला कि बच्चों को दिनभर रोपाई करवाने के बदले 300 से 350 रुपये की मजदूरी दी जाती थी. गाड़ी वालों को प्रति बच्चा 500 रुपये प्रति दिन मिलते थे. बच्चों को दिनभर में सिर्फ एक पैकेट बिस्किट खाने को दिया जाता था. खेतों में धूप में काम करवा कर शाम को उन्हें वापस गांव भेज दिया जाता था. यह एक ऐसी क्रूर व्यवस्था थी, जिसमें मासूम बच्चों के बचपन की बोली लगाई जा रही थी वो भी चंद रुपयों में.

टीम ने रास्ते में घेराबंदी कर सभी गाड़ियों को रोका

संयुक्त टीम ने रास्ते में घेराबंदी कर सभी गाड़ियों को रोका और बच्चों को सुरक्षित बचाव कर जिला मुख्यालय लाया गया. इसके साथ ही उन लोगों की भी पहचान की गई जो इन बच्चों को काम पर ले जा रहे थे. बाल संरक्षण समिति द्वारा सभी बच्चों की काउंसलिंग करवाई गई. साथ ही परिजनों को भी बुलाकर समझाइश दी गई कि यह कार्य बाल श्रम निषेध अधिनियम 1986 के तहत दंडनीय अपराध है.

क्या होगी आगे की कार्रवाई?

बाल श्रम कराने वालों के खिलाफ श्रम विभाग और पुलिस द्वारा कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है. बच्चों के अभिभावकों को चेतावनी दी गई है, और जरूरत पड़ी तो पुनर्वास योजना के तहत उन्हें सहायता भी दी जाएगी. जिन बच्चों का नामांकन नहीं था, उन्हें स्कूलों में प्रवेश दिलाने की कार्यवाही शुरू की गई है.

 

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