सूरजपुर: 9 अगस्त को सूरजपुर जिले के भटगांव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में घटी एक हृदयविदारक घटना ने पूरे जिले ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं की जमीनी हकीकत को उजागर कर दिया. प्रसूता कुन्ती पण्डो को अस्पताल में डॉक्टर या नर्स न मिलने के कारण फर्श पर ही प्रसव करना पड़ा. चार घंटे तक वह प्रसव पीड़ा में तड़पती रही और उसके परिजन खून के धब्बे खुद साफ करते रहे. न कोई डॉक्टर, न नर्स और न ही कोई अन्य स्वास्थ्यकर्मी मौके पर मौजूद था.
इस दर्दनाक घटना से प्रशासन पर सीधा दबाव बना. महज 48 घंटे के भीतर स्वास्थ्य विभाग हरकत में आया और दोषियों पर सख्त कार्रवाई करते हुए तीन अलग-अलग आदेश जारी किए, जो जिलेभर में चर्चा का विषय बन गए. कलेक्टर सूरजपुर और संभागीय संयुक्त संचालक, स्वास्थ्य सेवाएं सरगुजा के अनुमोदन के बाद गठित जिला स्तरीय जांच समिति ने 11 अगस्त को अपनी रिपोर्ट सौंपी. रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया कि ड्यूटी पर तैनात कर्मचारी और चिकित्सक अपने कार्यस्थल से अनुपस्थित थे, जिससे प्रसूता को समय पर उपचार नहीं मिल पाया.
तीन पर कार्रवाई, आदेश तत्काल प्रभाव से लागू
विक्टोरिया केरकेट्टा (RHO, महिला) कार्य में घोर लापरवाही पर तत्काल निलंबित, मुख्यालय जिला चिकित्सालय सूरजपुर. शीला सोरेन (स्टाफ नर्स) बिना पूर्व अवकाश स्वीकृति अनुपस्थित रहने और कर्तव्य में लापरवाही पर निलंबित, मुख्यालय जिला चिकित्सालय सूरजपुर और डॉ. साक्षी सोनी (अनुबंधित चिकित्सा अधिकारी) कार्य से अनुपस्थित रहने पर भटगांव से हटाकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भैयाथान में पदस्थ पर कार्रवाई हुई. निलंबन अवधि में दोनों कर्मचारियों को नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ता दिया जाएगा, जबकि डॉक्टर का तबादला आदेश तत्काल लागू कर दिया गया है.
भटगांव ‘फर्श प्रसव कांड’ ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं में केवल कागजी व्यवस्था काफी नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर निगरानी और जवाबदेही अनिवार्य है. प्रशासन की यह कार्रवाई पीड़िता के लिए इंसाफ की ओर पहला कदम है, लेकिन जनता की उम्मीद है कि यह कदम स्थायी सुधार की दिशा में भी जाएगा.