सूरजपुर: NH-43 बना मौत का हाईवे: सड़क की बदहाली पर फूटा जनाक्रोश, मंत्री के वीवीआईपी रूट पर भी उठे सवाल!

 

सूरजपुर: “सड़क पर बने हैं या चट्टान में?” यह प्रश्न अब पूरे सूरजपुर जिले की जनता की जय पर है. राष्ट्रीय राजमार्ग-43 (एनएच-43) की अंतिम स्थिति को लेकर शनिवार 19 जुलाई को सिलफिली में जाम आंदोलन ने शासन-प्रशासन को हिलाकर रख दिया. 

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सड़क नहीं, मौत का रास्ता: अब नहीं साथ देंगे मछली

सिलफिली से कालीघाट तक की सड़क पर ऐसी स्थिति बनी हुई है कि हर दिन जान का जोखिम लेकर लोग यात्रा करते हैं। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि समूह, दिशानिर्देश और वापसी के संबंध में कोई खुलासा नहीं हुआ, कोई ठोस योजना सामने नहीं आई. 

मंत्री के वीआईपी रूट पर तीन बार डामरीकरण, जनता के हिस्से में सिर्फ चर्चा, प्रदर्शन के दौरान सबसे बड़ा सवाल यही उठा –

”जब मंत्री जी के घर से तीन बार छुट्टी ली गई, तो जनता के लिए हंगामा क्यों?”

भीड़ में गूंजते नारियों ने जनाक्रोश के विरुद्ध सत्य की प्रतिष्ठा और संविधान की अनदेखी को स्पष्ट कर दिया. 

पारसनाथ राजवाड़े का तीखा हमला: मंत्री बनी में फंसे

प्रदर्शन में पूर्व विधायक पारसनाथ राजवाड़े ने महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े पर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा: “जब सलाई घोटालों और निर्माण में कमीशनखोरी से पहले नहीं, तो सड़क पर ध्यान कैसे दिया जाएगा?”

वे लेकर निर्माण कार्य में लगे लोगों से कहते हैं कि “जनता सब देख रही है, समय पर जवाब भी देवियां.”

प्रशासन का निर्देश और जनता की चेतावनी

प्रशासन ने उग्रवादियों को 15 अक्टूबर 2025 तक निर्माण कार्य शुरू कर दिया है। टैब तक पैकिंग की जाएगी।
जनता ने स्पष्ट रूप से कहा – “यदि तय तिथि तक काम शुरू नहीं हुआ, तो आंदोलन और उग्रवाद होगा.”

मुख्य मांगें जो उभरीं

एनएच-43 की चढ़ाई और समयसीमा घोषित हो, निर्माण की गुणवत्ता और पुष्टि की जाए, स्थानीय संरचनाओं को शामिल किया जाए, सभी खतरनाक सीमाओं को बरकरार रखा जाए. 

एकजुटता की ताकत: महिलाओं और युवाओं की भागीदारी

ग्राम सिली, गणेशपुर, पेंदानगर, नवगांव, माउंटेनगांव, जामनगर आदि से भारी संख्या में ग्रामीण, महिलाएं और युवा क्षेत्र. इस आंदोलन को सामाजिक ताकतें और व्यापक समर्थन मिला. 

नरेंद्र यादव बोले: हम सड़क नहीं, सम्मान मांग रहे हैं

युवा कांग्रेस के जिला अध्यक्ष नरेंद्र यादव ने दो टूक कहा: “हम सिर्फ सड़क नहीं मांग रहे हैं, हम सिस्टम की अनदेखी के लड़ रहे हैं. अगर जनता की आवाज नहीं सुनी गई, तो हर बार सड़क पर उतरेंगे.”

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