सूरजपुर: भैयाथान क्षेत्र के भास्कर पारा स्थित खुली कोल खदान रविवार को अचानक सुर्खियों में आ गई, जब सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण खदान प्रबंधन के खिलाफ सड़क पर उतर आए. नाराज़ ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि बिना ग्रामसभा प्रस्ताव के अवैध रूप से खदान संचालन किया जा रहा है, उच्च घनत्व ब्लास्टिंग से मकानों में दरारें पड़ रही हैं और भारी वाहनों की मनमानी पार्किंग से आम लोगों का जीवन संकट में है.
खदान गेट पर डटा आक्रोश
करीब दोपहर 1 बजे से शुरू हुआ यह आंदोलन धीरे-धीरे उग्र रूप लेता गया. आंदोलन का नेतृत्व नरेंद्र साहू कर रहे थे, जिनके साथ बस्कर और खाडापारा गांवों के 100 से अधिक ग्रामीण शामिल थे. खदान गेट पर पहुंचकर प्रदर्शनकारियों ने जमकर नारेबाजी की और धरने पर बैठ गए.
प्रशासन मौके पर, पर हल नहीं
सूचना मिलते ही भैयाथान टीआई नसीमुद्दीन पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे, लेकिन जब हालात नहीं संभले तो एसडीएम चांदनी कंवर, तहसीलदार शिवनारायण राठिया और पटवारी पीतांबर कुशवाहा समेत पूरा राजस्व अमला ग्रामीणों से बातचीत के लिए पहुंचा. अधिकारियों ने आश्वासन दिया कि समस्याओं का समाधान बैठक में निकालने की कोशिश की जाएगी. मगर ग्रामीण लिखित जवाब से पहले पीछे हटने को तैयार नहीं हुए.
सड़क पर अफरातफरी
प्रदर्शन के चलते भैयाथान–पटना मार्ग घंटों जाम रहा. कई वाहन खदान क्षेत्र के बाहर कतार में खड़े हो गए और राहगीरों को भारी परेशानी झेलनी पड़ी. ग्रामीणों ने स्पष्ट चेतावनी दी कि जब तक खदान प्रबंधन ठोस समाधान नहीं करेगा, आंदोलन जारी रहेगा.
ग्रामीणों की मांगें और आरोप
धरना स्थल पर मौजूद ग्रामीण रक्षेन्द्र प्रताप सिंह, हीरालाल राजवाड़े, भगवानदास, मनोहर, विजेश्वर सिंह, विजेंद्र सिंह, प्रदीप सिंह, सुनील कुशवाहा, रामेश्वर कुशवाहा, अनु सिंह, विष्णु हेमंत राजवाड़े सहित बड़ी संख्या में महिलाएं और पुरुष रहे. उनका कहना है कि खदान संचालन से उनके मकानों में दरारें, खेतों की उपज में गिरावट और स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ रहा है.
देर रात तक जारी रहा धरना
लगातार समझाइश और चेतावनी के बावजूद प्रदर्शनकारियों का आक्रोश देर रात तक शांत नहीं हुआ. समाचार लिखे जाने तक ग्रामीण खदान गेट पर डटे रहे और प्रशासन स्थिति पर नजर बनाए रहा.