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सूरत: इस सरकारी स्कूल में बच्चों के दाखिले के लिए गरीब से लेकर अमीर परिवार तक लाइन में लगे

आमतौर पर माता-पिता अपने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए प्राइवेट स्कूल में दाखिला कराना चाहते हैं. ज्ञान और संस्कार के साथ जो एक आधुनिक सुविधा प्राइवेट स्कूलों में मिलती हैं, वह सरकारी स्कूलों में नहीं मिलती. ऐसा सोचने वाले लोगों के लिए सूरत का सरकारी स्कूल एक सर्वोत्तम उदाहरण बनकर सामने आया है. यह स्कूल शहर के अन्य निजी स्कूलों से पीछे नहीं है.

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सूरत के उत्राण क्षेत्र में स्थित नगर निगम के सरकारी स्कूलों में प्रवेश पाने के लिए लोगों की लगातार भीड़ देखी जा रही है. स्कूल में 3500 छात्रों की क्षमता के मुकाबले हर साल 2 हजार से 3 हजार छात्रों की प्रतीक्षा सूची होती है. जहां इस साल भी पहले दिन एडमिशन के लिए 600 से 700 एंट्री फॉर्म आ चुके हैं. इसमें सामान्य और गरीब वर्ग के साथ अमीर परिवारों के बच्चे भी शामिल हैं.

सूरत के उत्राण इलाके में नगर निगम द्वारा संचालित महाराजा कृष्ण कुमार सिंह जी प्राइमरी स्कूल में बच्चों के माता-पिता की लंबी कतार है और वे किसी सरकारी योजना का लाभ लेने के लिए नहीं बल्कि अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में दाखिला दिलाने के लिए बैठे हैं. एक ही परिसर में नगर पालिका द्वारा प्रबंधित तीन स्कूलों की क्षमता 3500 छात्रों की है. जिसके चलते हर साल 2 हजार से 3 हजार छात्रों की वेटिंग लिस्ट बोलती है. जहां चालू वर्ष में इस स्कूल में दाखिला लेने के लिए लंबी भीड़ देखने को मिल रही है.इस स्कूल में न सिर्फ सामान्य और गरीब वर्ग बल्कि अमीर परिवार से आने वाले लोग भी अपने बच्चों को स्कूल में दाखिला दिलाने के लिए एडमिशन फॉर्म भर रहे हैं. स्कूल ने नए शैक्षणिक क्षेत्र के लिए प्रवेश प्रक्रिया शुरू कर दी है. जहां आज पहले दिन करीब 600 अभिभावकों ने अपने बच्चों को एडमिशन दिलाने के लिए एडमिशन फॉर्म भरा है.

इस सरकारी स्कूल में विद्यार्थियों में शिक्षा के साथ-साथ संस्कार भी दिए जाते हैं. बच्चे का जन्मदिन केक के साथ नहीं बल्कि धार्मिक आयोजनों के साथ मनाया जाता है. यहां सभी कार्यक्रम स्कूल परिसर में एक परिवार की तरह आयोजित किए जाते हैं, ओर बच्चों को घर जैसे माहौल में पढ़ाया जाता है. यहां आचार्य को छात्र प्रिंसिपल नहीं बल्कि गुरु कहकर बुलाते हैं और शिक्षक को टीचर नहीं बल्कि दीदी कहकर बुलाते हैं. स्कूल के माहौल से प्रभावित होकर लोग अपने बच्चों को यहां दाखिला दिलाने के लिए उत्साहित रहते हैं. एक प्राइवेट स्कूल की तरह यह स्कूल भी सभी प्रकार की उन्नत सुविधाओं और संस्कारों से युक्त है. इससे प्रभावित होकर वे वर्तमान में प्राइवेट स्कूल में पढ़ रहे अपने बच्चों का पालन-पोषण कर उन्हें इसी स्कूल में दाखिला दिला रहे हैं. इसलिए अब समय बदल गया है और माता-पिता अब अपने बच्चों को निजी स्कूलों के बजाय सरकारी स्कूलों में दाखिला दिला रहे हैं.

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