अयोध्या : इस वर्ष राम नवमी के पावन अवसर पर रामलला का सूर्य तिलक ऐतिहासिक रूप से पहली बार संपन्न होगा. यह आयोजन हर साल राम नवमी के दिन दोपहर 12 बजे होगा, जिसमें सूर्य की किरणें सीधे रामलला के मस्तक पर पड़ेंगी. इस विशेष आयोजन के लिए रुड़की के वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने अत्याधुनिक “सूर्य तिलक मैकेनिज्म” विकसित किया है.
कैसे होगा सूर्य तिलक?
राम मंदिर के शिखर से सूर्य की किरणों को एक विशेष ऑप्टो-मैकेनिकल सिस्टम की सहायता से गर्भगृह तक लाया जाएगा. इस प्रणाली में-
- मंदिर के तीसरे तल पर एक विशेष दर्पण लगाया गया है, जो सूर्य की किरणों को प्रतिबिंबित करेगा.
- यह प्रकाश 90 डिग्री पर परावर्तित होकर पीतल के एक पाइप में प्रवेश करेगा.
- पाइप के अंदर लगे दूसरे दर्पण से सूर्य की किरणें दोबारा 90 डिग्री पर मुड़ेंगी और लंबवत नीचे की ओर चलेंगी.
- रास्ते में तीन विशेष लेंस इन किरणों की तीव्रता को बढ़ाएंगे.
- अंत में, किरणें अंतिम दर्पण से परावर्तित होकर सीधे रामलला के मस्तक पर पड़ेंगी.
हर साल बढ़ता जाएगा सूर्य तिलक का समय
वैज्ञानिकों के अनुसार, अगले 19 वर्षों तक सूर्य तिलक का समय धीरे-धीरे बढ़ता रहेगा. यह गणना भारतीय खगोलीय भौतिकी संस्थान, बेंगलुरु द्वारा की गई है. इस चक्र के 19 साल पूरे होने के बाद, 2044 में सूर्य तिलक पुनः 2025 की तरह ही होगा.
दुनिया भर में होगा लाइव टेलीकास्ट
राम मंदिर ट्रस्ट ने घोषणा की है कि इस ऐतिहासिक आयोजन का सीधा प्रसारण किया जाएगा, जिससे देश-विदेश के श्रद्धालु इस अद्भुत दृश्य के साक्षी बन सकेंगे.
भारत में पहले भी होते रहे हैं सूर्य तिलक
इस तरह की तकनीक पहले भी कोणार्क के सूर्य मंदिर और कुछ जैन मंदिरों में इस्तेमाल की गई है, लेकिन राम मंदिर में इसे एक अलग और परिष्कृत तकनीक से लागू किया गया है.
यह आयोजन भारतीय संस्कृति और विज्ञान का अनूठा संगम होगा, जो हर वर्ष राम नवमी के दिन भक्तों को दिव्य अनुभव प्रदान करेगा.