प्रवर्तन निदेशालय ने डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड ( डीएमएफ) स्कैम मामले में सस्पेंडेड आईएएल अधिकारी रानू साहू और एक महिला प्रशासनिक अफसर माया वारियर को गिरफ्तार किया. गिरफ्तारी के बाद कोर्ट ने दोनों को पांच दिनों की ईडी रिमांड का आदेश दिया है. यह घोटाला करीब 100 करोड़ रुपए का है. रानू साहू रायपुल जेल में पिछले एक साल से जेल में बंद हैं. वहीं महिला अफसर को पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया गया.
माया वारियर और रानू साहू को ईडी ने क्रमशः 15 अक्टूबर और 17 अक्टूबर को गिरफ्तार किया है. दोनों छत्तीसगढ़ के जिला खनिज निधि (डीएमएफ) घोटाले में मुख्य आरोपी हैं.
ईडी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि इन दोनों आरोपियों को क्रमशः 16 अक्टूबर और 17 अक्टूबर को विशेष न्यायालय (पीएमएलए), रायपुर के समक्ष पेश किया गया. न्यायालय ने उन्हें 22 अक्टूबर तक ईडी की रिमांड में दे दिया है.
ईडी ने राज्य सरकार के अधिकारियों और राजनीतिक कार्यपालकों के साथ मिलीभगत करके डीएमएफ ठेकेदारों द्वारा सरकारी खजाने के पैसे की हेराफेरी का आरोप लगया है. इनके खिलाफ आईपीसी, 1860 की विभिन्न धाराओं के तहत छत्तीसगढ़ पुलिस की ओर से दर्ज 3 अलग-अलग एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की है.
छत्तीसगढ़ में डीएमएफ घोटाले का आरोप
बता दें कि डीएमएफ खनिकों द्वारा वित्त पोषित एक ट्रस्ट है जिसे छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में स्थापित किया गया है जिसका उद्देश्य खनन संबंधी परियोजनाओं और गतिविधियों से प्रभावित लोगों के लाभ के लिए काम करना है.
रानू साहू मई 2021 से जून 2022 तक कोरबा, छत्तीसगढ़ की तत्कालीन जिला कलेक्टर थीं और माया वरियर अगस्त, 2021 से मार्च, 2023 तक कोरबा, छत्तीसगढ़ में आदिवासी विकास विभाग की तत्कालीन सहायक आयुक्त थीं.
ईडी की जांच में पता चला है कि ठेकेदारों ने अधिकारियों को भारी मात्रा में कमीशन या अवैध रिश्वत का भुगतान किया है, जो अनुबंध मूल्य का 25 फीसदी से 40 फीसदी तक है.
कमीशन में लिए गए थे सैंकड़ों करोड़ रुपए
रिश्वत के भुगतान के लिए इस्तेमाल की गई नकदी विक्रेताओं और ठेकेदारों द्वारा समायोजन प्रविष्टियों का उपयोग करके उत्पन्न की गई थी. इसकी शुरुआत से लेकर वित्त वर्ष 2022-23 तक 1000 करोड़ रुपये का कारोबार हुआ. कोरबा में अकेले कमीशन की राशि सैकड़ों करोड़ रुपये है.
इससे पहले, ईडी, रायपुर ने डीएमएफ घोटाले से जुड़े छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के विभिन्न स्थानों पर सरकारी अधिकारियों, विक्रेताओं, ठेकेदारों और आवास प्रविष्टि प्रदाताओं के मामले में तलाशी अभियान चलाया था. इस अभियान में 2.32 करोड़ रुपये के आपत्तिजनक दस्तावेज, डिजिटल साक्ष्य, नकदी और बैंक बैलेंस, आभूषण आदि जब्त किए गए थे.