ग्वालियर। नशा मुक्ति केंद्र की आड़ में यातनागृह बने केंद्रों की पोल एक बार फिर खुल गई है। भिंड के रहने वाले सिपाही अजय सिंह भदौरिया की बड़ागांव स्थित मंथन नशा मुक्ति केंद्र में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि अजय को केंद्र में बेरहमी से पीटा गया, जिससे उसकी पसलियां टूट गईं और आंतरिक चोटों के कारण पेट में डेढ़ लीटर खून भर गया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने इस आरोप को और मजबूत कर दिया है।
जानकारी के अनुसार, 40 वर्षीय अजय सिंह भदौरिया रायसेन जिले में सिपाही के रूप में पदस्थ थे। वे अवकाश पर अपने घर भिंड आए थे, तभी उन्हें नशा छुड़ाने के नाम पर बड़ागांव स्थित मंथन नशा मुक्ति केंद्र ले जाया गया। परिजनों का कहना है कि अजय को वहां लगातार प्रताड़ित किया गया और जानबूझकर पीटा गया।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में साफ हुआ कि अजय की कई पसलियां टूटी हुई थीं और शरीर में गंभीर चोटें थीं। रिपोर्ट में पेट में लगभग डेढ़ लीटर रक्त पाए जाने की पुष्टि की गई। इससे साफ होता है कि मौत सामान्य नहीं बल्कि हिंसक व्यवहार का नतीजा है।
अजय के भाई अरुण सिंह भदौरिया ने बताया कि शव को केंद्र संचालकों ने हाईवे पर छोड़कर फरार हो गए। इसके बाद परिजनों ने कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को लिखित शिकायत देकर हत्या का मामला दर्ज करने की मांग की। फिलहाल पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में नशा मुक्ति केंद्रों पर पहले भी कई बार गंभीर आरोप लग चुके हैं। इन केंद्रों में इलाज और सुधार के नाम पर लोगों को अमानवीय यातनाएं दी जाती हैं। यह घटना एक बार फिर इन संस्थानों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करती है।
अब देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में कितनी गंभीरता दिखाता है और दोषियों पर क्या कार्रवाई होती है, क्योंकि परिजनों की साफ मांग है कि यह मामला केवल लापरवाही नहीं बल्कि सुनियोजित हत्या का है।