राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की आर्थिक शाखा स्वदेशी जागरण मंच (एसजेएम) ने जीएसटी काउंसिल की बैठक से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से प्लास्टिक कचरे और बीड़ी उद्योग पर जीएसटी पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है. SJM के मुताबिक बीड़ी और प्लास्टिक पर हाइ जीएसटी इन व्यापारों में शामिल लोगों के रोजगार को प्रभावित करेगा.
SJM ने प्लास्टिक कचरे और बीड़ी उद्योग पर जीएसटी की दर पांच प्रतिशत के दायरे में रखने का अनुरोध किया है. GST परिषद की बैठक से पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को लिखे पत्र में SJM ने कहा कि प्लास्टिक कचरे पर 18 प्रतिशत और बीड़ी उत्पादन पर 28 प्रतिशत की मौजूदा माल एवं सेवा कर (जीएसटी) दर को कम करने से इन दोनों क्षेत्रों में रोजगार की रक्षा होगी.
श्रमिकों को झेलनी पड़ रही कठिनाइयां
मंच ने आगे कहा कि इन दोनों क्षेत्रों में जीएसटी दरों में कमी से स्वच्छ भारत अभियान के तहत पर्यावरण प्रदूषण को कम करने में भी मदद मिलेगी. SJM के राष्ट्रीय सह-संयोजक अश्विनी महाजन ने वित्त मंत्री सीतारमण को लिखे पत्र में कहा कि बीड़ी उत्पादन पर सबसे ज्यादा 28 प्रतिशत GST लगाने से इस क्षेत्र में रोजगार को झटका लगा. उन्होंने कहा कि इससे अपंजीकृत बीड़ी उत्पादन इकाइयों में काम करने वाले श्रमिकों को ज्यादा कठिनाइयां झेलनी पड़ रही हैं, और वो केंद्र एवं राज्य सरकारों के कई सामाजिक सुरक्षा या कल्याणकारी लाभ से वंचित हैं.
प्लास्टिक कचरे पर GST दरों में कमी की मांग
प्लास्टिक कचरे पर जीएसटी दरों में कमी की मांग करते हुए महाजन ने कहा कि इस क्षेत्र पर इस समय 18 प्रतिशत कर लागू है, जिससे कचरा बीनने वालों को उनके काम के लिए कम पारिश्रमिक मिल पाता है. SJM पत्र में कहा है कि बीड़ी भारत के 9 से अधिक राज्यों में विशेषकर महिलाओं के रोजगार का एक प्रमुख स्रोत है.
‘बीड़ी उद्योग को 5% की श्रेणी में रखा जाए’
SJM का कहना है कि जब दिल्ली में GST परिषद की अहम बैठक होने जा रही है जहां जीएसटी की दो दरों 5% और 18% को कर दिया जाएगा, ऐसे में वित्त मंत्री से अनुरोध है कि बीड़ी उद्योग को 5% की श्रेणी में रखा जाए ताकि इसके कुप्रभाव से कुटीर उद्योग को बचाया जा सके. क्योंकि इस उद्योग से बीड़ी बनाने वालों, तेंदूपत्ता संग्राहकों और वितरण और खुदरा व्यापार में लगे श्रमिकों को भारी मात्रा में रोजगार मिलता है.
प्लास्टिक कचरे से जुड़े हुए उद्योग धंधों के लिए भी इसी तरह की राहत की मांग करते हुए SJM ने वित्त मंत्री से कहा है कि देश में लाखों कूड़ा बीनने वाले लोग अलग अलग स्रोतों से प्लास्टिक कचरा एकत्र करने में लगे हुए हैं और फिर उसे अलग करके रीसायकल किया जाता है. इससे एक तरफ जहां समाज के गरीब परिवारों का भरण पोषण होता है वहीं दूसरी तरफ भारत को स्वच्छ बनाने में भी इनकी बड़ी भूमिका रहती है. SJM का कहना है कि आय, उपभोग और जीवन स्तर के मामले में ये कूड़ा बीनने वाले हमारी समाज के सबसे निचले तबके में आते हैं.
जीएसटी परिषद की दो दिवसीय बैठक
स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक अश्वनी महाजन ने अपने पत्र में कहा है कि पहले प्लास्टिक कचरे पर 5% जीएसटी लगता था, जिसे बाद में बढ़ाकर 18% कर दिया गया. इससे इन गरीब कामगारों के कूड़ा बीनने के प्रोत्साहन में कमी आने की संभावना है. इससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘स्वच्छ भारत’ के उद्देश्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. जीएसटी परिषद की दो दिवसीय बैठक बुधवार से शुरू होगी. सीतारमण की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक में सभी राज्यों के मंत्री शामिल होंगे.