रूस और यूक्रेन में सुलह से पहले अमेरिका ने जेलेंस्की से खनिज समझौते पर हस्ताक्षर के लिए कहा है. इस समझौते के तहत अमेरिका को 500 मिलियन डॉलर (43 अरब रुपए) का खनिज यूक्रेन से मिलेगा. हथियार के बदले अमेरिका ने यह खनिज यूक्रेन से लिया है. रूस से युद्ध शुरू होने के बाद अमेरिका ने ये हथियार यू्क्रेन को दिए थे.
हालांकि, यह पहली बार नहीं है, जब किसी देश से उसका मिनरल्स लेकर अमेरिका ने हथियार थमा दिया हो. बाहुबली अमेरिका पहले भी कई देशों के साथ हथियार के एवज में खनिज का सौदा कर चुका है. सौदे की वजह से कई देश तो कंगाली के मुहाने पर चला गया.
पहला नाम अफगानिस्तान का
तालिबान से परेशान अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने 2017 में डोनाल्ड ट्रंप के साथ 1 ट्रिलियन डॉलर का खनिज समझौता करने का प्रस्ताव रखा था. अफगानिस्तान के पास लिथियम और अन्य धातु का खनिज जमीन के भीतर है. इस डील के एवज में अमेरिका ने गनी सरकार को आधुनिक हथियार सौंपे थे.
हालांकि, जब ट्रंप अपने सैनिक को अफगानिस्तान से बाहर ले गए, तो तालिबान ने अफगानी सेनाओं को खदेड़ दिया. 2021 में अशरफ गनी को अफगानिस्तान छोड़ भागना पड़ा. गनी के भागते ही तालिबान ने खनिज को लेकर हुए समझौते को रद्द कर दिया.
तालिबान का कहना था कि खनिज पर अफगानियों का अधिकार है. दिलचस्प बात है कि खनिज और हथियार के चक्कर में अफगानिस्तान पूरी तरह से बर्बाद हो गया. वर्तमान में तालिबान का उस पर कब्जा है, जिसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय में मान्यता नहीं मिली है.
बांग्लादेश को भी किया बर्बाद
बांग्लादेश को भी अमेरिका ने हथियार के बदले खनिज के चक्कर में बर्बाद कर दिया. शेख हसीना की सरकार अमेरिका से खनिज को लेकर अपनी शर्तों के हिसाब से समझौता करना चाहती थी, लेकिन अमेरिका ने पर्दे के पीछे ऐसी स्क्रिप्ट लिखी कि हसीना को ही सत्ता से बेदखल होना पड़ा.
हसीना के जाने के तुरंत बाद अंतरिम सरकार ने अमेरिका के साथ एलएनजी गैस का समझौता कर लिया. समझौते के तहत 5 मिलियन टन एलएनजी अमेरिका को अगले 20 सालों तक बांग्लादेश देगा.
सीरिया भी बर्बाद हो गया
2017 में सीरिया के उन इलाकों को अमेरिका ने खाली कराया, जहां पर तेल था. दोनों देशों के बीच इसके बाद तेल को लेकर समझौता हुआ. कुछ साल तक अमेरिका सीरियाई सरकार के समर्थन में हथियार और सैनिकों के बल पर खड़ा रहा, लेकिन 2019 में अपना पांव पीछे खींच लिया.
इसके बाद सीरिया में लड़ाकों ने असद सरकार को पीछे धकेल दिया. सीरिया पर भारी हिंसा हुई. वर्तमान में सीरिया में न तो कोई सरकार है और न ही सिस्टम. इतना ही नहीं, इजराइल भी सीरिया को पीट दे रहा है.