मिर्ज़ापुर : उत्तर प्रदेश के मिर्ज़ापुर जिले के हलिया में एक 13 साल के मासूम दलित किशोर को बीते वर्ष चोरी का आरोप लगाते हुए दिनदहाड़े दी गई तालिबानी सजा के ज़ख्म मिटने का नाम नहीं ले रहें हैं. पीड़ित किशोर और उसके परिवार को मदद के साथ बेहतर उपचार की दरकार है. यह पूरा खौफनाक मंज़र उनके लिए आज भी उन्हें कचोटता आया है.
सुबह के 05 बजे से दोपहर बाद 03 बजे तक चलता रहा तालिबानी सजा का दौर गांव के लोगों के आंखों के सामने आज भी घूम रहा है. सभी बस यही कह रहे हैं कि प्रधान उसके बेटों और उसके गुर्गों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए, ताकि इस प्रकार के कृत्य के बारे कोई सोचने का भी साहस नहीं कर पाएं.
ग्रामीण दबी जुबान बताते हैं कि तालिबानी सजा के दरम्यान किशोर को थप्पड़ों से तो कभी डंडे और लोहे के छड़ से मारा पीटा गया, फिर उसके गुप्तांग में मिर्च पाउडर डालकर मारने-पीटने का क्रम जारी रखा गया था. पत्थर पर उठा कर पटका गया, फिर पुलिस को सौंप दिया गया. पुलिस थाने में कड़ाके की डंड में बालक को 24 घंटे तक रखा गया. दो बोरा धान बेचकर किसी प्रकार गरीब पिता ने बेटे को छुड़ा तो लिया है, लेकिन अब बेटे के इलाज के लाले पड़े हुए हैं. किशोर की स्थिति ठीक नहीं है चेहरे और पैर में सूजन और चोट के काले निशान पीछा नहीं छोड़ रहे हैं. मुंह से खून निकलने के साथ कान का बहना जारी है. यह दास्तान उस गरीब दलित परिवार की है जो घटना के दो माह बीतने के बाद भी दहशत, उपेक्षा और जीवन बचाने की जद्दोजहद करते हुए आ रहा है.
यह दर्द भरी दास्तां किसी और कि नहीं बल्कि हलिया थाना क्षेत्र के बर्डिहां सरसरा गांव के उस किशोर और उसके परिवार की है, जिसे 31 दिसंबर 2024 को गांव के प्रधान, कोटेदार और उसके गुर्गों ने चोरी की तोहमत मढ़ते हुए तालिबानी सजा देने का काम किया था. जिनके लिए दलित और गरीब होना अभिशाप बना हुआ है. यह गरीब परिवार बेटे को मिली प्रताड़ना का दंश अभी भी झेलने को विवश हैं. पीड़ित किशोर अशोक पुत्र जगजीवन की दशा अभी भी ठीक नहीं है 10 घंटे तक हाथ पैर बांध कर कभी बिजली के खंभे में बांध कर हुई पीटाई तो कभी गांव के श्मशान घाट पर ले जाकर की गई बर्बर पीटाई के निशान मिटने का नाम नहीं ले रहे हैं. वह आज भी किशोर के पैरों से लेकर पूरे चेहरे पर साफ तौर पर देखें जा सकतें हैं.
दो माह बाद भी नहीं मिली सरकारी उपचार की मदद
आश्चर्यजनक बात तो यह है कि इस लोमहर्षक घटना के दो महीने बीतने के बाद भी पीड़ित किशोर को न तो कोई सरकारी उपचार की सुविधा उपलब्ध कराई गई है और ना ही उसकी मदद करने के लिए कोई कदम उठाया गया है. पीड़ित किशोर अशोक के बेहतर उपचार के लिए पिता जगजीवन का सामर्थ्य अब जवाब दे गया है. वह कहते हैं कि स्वयं के स्वास्थ्य का व ध्यान नहीं दे पाए हैं अब एकलौते बेटे की सलामती के लिए वह दर दर भटक रहे हैं. उपर से उन्हें सुलह के लिए बराबर दबाव बनाने के साथ मानसिक प्रताड़ना दी जा रहीं हैं. जगजीवन के परिवार के मुताबिक उनके घर आने जाने का रास्ता प्रधान के दरवाजे से ही होकर आता है ऐसे में प्रधान के परिवार के लोग और कोटेदार (प्रधान की बहू) सभी के जेल से बाहर आने पर कायदे से देखने की धमकियां देते हुए ताने कसते हुए आ रही है, जिससे पीड़ित किशोर और उसके परिजन भविष्य की आशंकाओं को लेकर सशंकित बने हुए हैं.
मामले में कई लोगों को बचाने का आरोप
गौरतलब हो कि इस मामले में मामला उछलने और सोशल मीडिया पर किशोर को दी जा रही तालिबानी सजा का वीडियो वायरल होने के बाद हलिया पुलिस की खूब भद्द हुई है तो वहीं अधिकारियों की फटकार के बाद आनन-फानन में वह भी घटना के कई दिन बीतने के बाद भले ही हलिया पुलिस ने सात लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा है, लेकर पीड़ित परिवार से लेकर गांव के लोग दबी जुबान इस मामले में कई लोगों को बचाने का आरोप लगाते हुए आएं हैं. कहा जा रहा है कि जिस व्यक्ति ने किशोर के गुप्तांग में मिर्च पाउडर डालने और और लाने का काम किया था पुलिस ने उसे साफ तौर पर बचाने का काम किया है. जो हलिया पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हुए हैं.
मदद के नाम पर मिला दिलासा
पीड़ित किशोर अशोक के पिता जगजीवन बताते हैं कि अशोक के उपचार के लिए हलिया थाने के दरोगा उसकी बैंक पासबुक की छाया कापी और आधार मांगें थें जिसे लालगंज थाने पर देने के लिए बोला गया कि सीओ ने मांगा है. दो महीने बीतने के बाद उसे कोई भी आर्थिक मदद मिलना तो दूर रहा है किसी ने पलटकर पीड़ित किशोर का हाल भी जानना मुनासिफ नहीं समझा है.