गावों में हर घर तक नल से जल पहुंचाने की केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना जल जीवन मिशन को लेकर बड़ा फैसला किया गया है. यह तय हुआ है कि इस योजना की मौजूदा खामियों और गड़बड़ियों को दूर करने के बाद ही 2028 तक इसे पूरा करने के लिए बकाया राशि जारी की जाएगी. कल पीएम मोदी के साथ एक उच्चस्तरीय बैठक में इस योजना की समीक्षा की गई.
इस बैठक में योजना की जांच के लिए बनाई गईं 100 विशेष टीमों की प्रारंभिक रिपोर्ट पर भी विस्तार से चर्चा हुई. सूत्रों के मुताबिक, बैठक में जांच का दायरा बढाने और जांच की जद में बड़ी मछलियों को लाने और उनपर कार्रवाई करने पर चर्चा हुई. यह योजना 2024 तक पूरी की जानी थी लेकिन इसी साल बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसे 2028 तक बढ़ाने की घोषणा की है ताकि 100 प्रतिशत घरों में नल से जल पहुंचाया जा सके. इसके लिए 2025-26 में 67 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया
दोषी लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई
रिपोर्ट में पाया गया कि कई राज्यों में ठेकेदारों ने निम्न गुणवत्ता का काम किया. इसके बाद कई जगहों पर भुगतान भी रोका गया है. उदाहरण के तौर पर कुछ जगहों पर कोविड लॉकडाउन के समय अधिक दाम पर माल सप्लाई किया गया जबकि उन दिनों मांग कम होने के कारण वही माल कम दाम पर मिलना चाहिए था. यह भी फैसला हुआ है कि गड़बड़ियों के लिए दोषी लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए. यह भी पाया गया कि इस योजना में लगे थर्ड पार्टी का प्रदर्शन भी कई जगहों पर संतोषजनक नहीं है.
बता दें कि केंद्र सरकार ने इस साल मई में जल जीवन मिशन के तहत चल रही परियोजनाओं में देरी, लागत में इजाफा और क्वालिटी से जुड़े सवालों को लेकर 100 विशेष टीमों का गठन किया था. ये टीमें 29 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 135 जिलों की 183 परियोजनाओं की जांच कर रही हैं. इन टीमों में 75 संयुक्त सचिव और 106 डायरेक्टर शामिल हैं.
जांच के लिए भेजने से पहले इन टीमों की ट्रेनिंग भी हुई ताकि वे जमीनी हालात का सही से आकलन कर सकें. जांच का मुख्य मकसद परियोजनाओं में देरी की वजह, लागत वृद्धि और काम की गुणवत्ता से जुड़ी शिकायतों का पता लगाना है.
करीब 80 फीसदी लक्ष्य पूरा
आंकड़ों के मुताबिक, करीब 80 फीसदी लक्ष्य पूरा कर लिया गया है. पंजाब, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश समेत 11 राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों ने इस मिशन के तहत 100 प्रतिशत लक्ष्य हासिल कर लिया है. लेकिन विपक्ष शासित पश्चिम बंगाल, केरल, झारखंड, और एनडीए शासित मध्यप्रदेश, राजस्थान, आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में इसकी रफ़्तार बहुत धीमी है. केंद्र सरकार का यह कदम जल जीवन मिशन को समय से और गुणवत्तापूर्ण तरीके से पूरा करनेके लिए बेहद अहम है.