भारत ने गुरुवार को कहा कि इस महीने पाकिस्तान के साथ हुए युद्धविराम के लिए अमेरिका से हुई बातचीत में टैरिफ का मुद्दा चर्चा का हिस्सा नहीं था. विदेश मंत्रालय की तरफ से यह टिप्पणी ऐसे वक्त में सामने आई है जब डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने अमेरिका की एक संघीय अदालत को बताया कि टैरिफ की धमकी ने अमेरिका को भारत और पाकिस्तान के बीच तीन दिनों की लड़ाई के बाद संघर्षविराम कराने में मदद की.
ट्रंप प्रशासन के इस दावे को खारिज करते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने साप्ताहिक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘इस विशेष मुद्दे पर भारत का विरोध साफ है… 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर शुरू होने से लेकर 10 मई को समाप्त होने तक भारत और अमेरिका के बीच बातचीत होती रही. चर्चा के दौरान टैरिफ का मुद्दा कभी नहीं उठा.’
दरअसल, न्यूयॉर्क की संघीय अदालत में दुनिया के लगभग सभी देशों पर ट्रंप प्रशासन की तरफ से रेसिप्रोकल टैरिफ लगाए जाने का मामला चल रहा है. बुधवार को कोर्ट ने अपने फैसले में ट्रंप प्रशासन के लिबरेशन डे टैरिफ को अवैध बताते हुए उस पर रोक लगा दी थी.
इस दौरान कोर्ट में ट्रंप के वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लटनिक ने कहा कि टैरिफ की मदद से भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम कराने में मदद मिली. उन्होंने कहा कि ट्रंप ने दोनों देशों को ट्रेड का ऑफर दिया जिससे एक पूर्ण युद्धविराम की स्थिति बनी. हालांकि, भारत ने ट्रंप प्रशासन के इस नए दावे को खारिज कर दिया है.
पाकिस्तान से साथ बातचीत को लेकर क्या बोले विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता?
22 अप्रैल को पहलाम की बैसरन घाटी में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के तनावपूर्ण रिश्ते और खराब हो गए हैं. हमले में 26 पर्यटकों की जान गई थी और हमलावरों के तार पाकिस्तान से जुड़ने के बाद भारत ने 7 मई को पाकिस्तान और पीओके स्थित आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया. दोनों देशों के बीच कम से कम तीन दिनों तक लड़ाई के बाद 10 मई को संघर्षविराम पर सहमति बनी.
पाकिस्तान के साथ तनावपूर्ण रिश्तों के बीच विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि पाकिस्तान के साथ जम्मू-कश्मीर पर बात करने को कोई सवाल ही नहीं बल्कि बात होगी तो केवल पीओके पर कि पाकिस्तान उसे कब भारत को लौटा रहा है.
रणधीर जायसवाल ने कहा, ‘पाकिस्तान के साथ किसी भी तरह का संबंध या संपर्क द्विपक्षीय ही रहेगा. जहां तक बातचीत का सवाल है, हमने साफ किया है कि आतंकवाद और बातचीत एक साथ संभव नहीं है. उन्हें भारत को उन आतंकियों को सौंप देना चाहिए जिनकी लिस्ट और रिकॉर्ड कुछ साल पहले हमने उन्हें सौंपा था. जहां तक जम्मू कश्मीर का प्रश्न है, पाकिस्तान पीओके कब लौटा रहा है, उस पर बात हो सकती है.’
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही साफ कर चुके हैं कि बातचीत और आतंकवाद एक साथ नहीं चल सकते हैं.
पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ 1960 में हुआ सिंधु जल समझौता भी निलंबित कर दिया था. इस संदर्भ में रणधीर जायसवाल ने आगे कहा, ‘जैसा कि पीएम मोदी कहते हैं, वार्ता और आतंकवाद साथ नहीं चल सकते, व्यापार और आतंकवाद साथ नहीं चल सकते और पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते.’
ईरान में लापता तीन भारतीय नागरिकों पर जायसवाल क्या बोले?
ईरान में लापता हुए तीन भारतीय नागरिकों के बारे में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ‘कुछ समय पहले ईरान के तेहरान में उतरे तीन भारतीय नागरिक लापता हैं. हम उनका पता लगाने, उनकी सुरक्षा और उनके घर वापसी के लिए ईरानी अधिकारियों के संपर्क में हैं. हमें ईरानी पक्ष से अच्छा सहयोग मिल रहा है और हम लापता लोगों के परिवारों के संपर्क में भी हैं. हम हर संभव मदद कर रहे हैं…’
मोहम्मद यूनुस को लेकर क्या बोले विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस ने अपनी घरेलू विफलता के लिए भारत को जिम्मेदार बताया था.
इस संबंध में रणधीर जायसवाल ने कहा, ‘जहां तक बांग्लादेश की समस्याओं का सवाल है तो यह मौजूदा सरकार की जिम्मेदारी है. घरेलू विफलता के लिए केवल बाहरी कारकों को दोष देने से उनकी समस्याएं हल नहीं हो जाएंगी.’