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नारी सशक्तिकरण में टसर धागाकरण निभा रही महत्वपूर्ण भूमिका, प्रीति ने अतिरिक्त आय अर्जित कर किए अपने सपने पूरे

सशक्त महिला सशक्त समाज को गढ़ता है जिससे देश के विकास होने में सहयोग होती है. नारी सशक्तिकरण में ग्रामोद्योग संचालनालय की टसर धागाकरण की योजना महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. आने वाली पीढ़ी के द्वारा रोजगार हेतु किसी अन्य राज्य में पलायन नहीं करना पड़ेगा. अपने ही राज्य अपने ग्रामों में रहकर स्व-रोजगार प्राप्त कर सकतें है. इस उददेश्य से मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय की मंशानुसार जिले में संचालक रेशम के द्वारा धागाकरण प्रशिक्षण देकर समूह की महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया जा रहा है.

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टसर धागाकरण योजनान्तर्गत ग्रामीण क्षेत्र में कृषि कार्य एवं मजदूरी वनोपज से आय का एक प्रमुख साधन है, जो एक निश्चित अवधि के लिए होती है. पुरूष तो काम की तलाश में बाहार जा सकते हैं, किन्तु महिलाओं के लिए अपने गांव के आस-पास में रोजगार प्राप्त करने हेतु इधर-उधर भटकना पड़ता था. ऐसे ही कुछ जरूरत मंद महिलाएं शासकीय कोसा बीज केन्द्र सिंगीबहार में चल रहे टसर धागाकरण योजनान्तर्गत संचालित टसर मशीनों को देखने आई एवं धागाकरण कार्य को देखकर स्व-प्रेरित होकर स्वयं भी इस कार्य को करने के लिए इच्छा प्रकट की तथा विभाग द्वारा इसे भी विभाग द्वारा प्रशिक्षण दिया गया.

कलेक्टर डॉ रवि मित्तल के मार्गदर्शन में जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री अभिषेक कुमार के दिशा-निर्देश में जशपुर जिले के विकासखण्ड फरसाबहार के ग्राम केरसई निवासी कुमारी प्रीति चौहान ने बहुत ही कम उम्र में ही टसर धागाकरण प्रशिक्षण कर धागाकरण कार्य में रूचि ली और आज अपने सपने को साकार कर रही है. प्रीति अति गरीब परिवार से आती है एवं अनुसूचित जाति वर्ग से है. चूंकि प्रीति चौहान कक्षा 12 वीं तक का शिक्षा प्राप्त कर चुकी है, परन्तु सरकारी नौकरी नहीं मिलने कारण धागाकरण कार्य में एकाग्र मन से कार्य कर अच्छी आमदनी प्राप्त कर रही है. आज इनके खाते में लगभग 1 लाख 2 हजार 6 सो 35 रूपये जमा है जोकि अपने भविष्य के लिए जमा पूंजी रखी है. उन्होंने बताया कि इनके पिता मजदूरी का काम करते हैं जो कि सिर्फ परिवार का पेट ही पालता था. अब इनके द्वारा माता पिता को आर्थिक सहयोग कर रहे हैं. अतिरिक्त पैसे की आमदनी होने से हमारी पुश्तैनी भूमि जो कि कई वर्षाे से खेती नहीं किये थे. उसमें खेती कर हमारी साल भर के खाने हेतु अनाज उत्पादन कर लेते हैं. इस प्रकार से रेशम विभाग जशपुर के द्वारा कई गरीब परिवार जो आर्थिक स्थिति से कमजोर ऐसे परिवार को छत्तीसगढ़ शासन का धागाकरण योजना से जोडकर रोजगार दिया जा रहा है.

कुमारी प्रीति चौहान ने बताया की शासकीय कोसा बीज केन्द्र सिंगीबहार के फील्ड-ऑफीसर से मिलकर धागाकरण के बारे में जानकारी ली तथा उन्होंने मुझे धागाकरण प्रशिक्षण के बारे में बाताया और उनके द्वारा प्रशिक्षण दिलाया, जो कि मेरी जिन्दगी को पूरी तरह से बदल दिया. आज मेरे भाई-बहन की पढ़ाई लिखाई रेशम धागाकरण से अर्जित पैसों होती है तथा उनका हर सपना पूरा कर पा रही हैं. उन्होंने बताया कि लगभग 26100 कोसाफल का उपयोग कर लगभग-28.770 किलोग्राम धागा का उत्पादन करती हैं, जिसकी कीमत राशि – 1 लाख 40 हजार 720 रूपए उनको प्राप्त हुई. जिसमें कोसाफल का लागत राशि 57195 है. जिससे उनको शुद्ध आमदनी 83525 रूपए प्राप्त हुए हैं. इसी प्रकार हर वर्ष आमदनी अर्जित करती हैं.

समूह की महिलाएं पहले कॉफी गरीबी में जीवन यापन कर रही थीं. वे इस योजना से जुड़कर अब तक अपनी-अपनी जीवन स्तर में सुधार कर ली हैं. इसी योजना से अतिरिक्त आय अर्जित कर अपने कृषि भूमि में खेती का कार्य कर उन्नत किस्म का धान एवं अन्य फसल का उत्पादन कर रहे हैं. कई ऐसी महिलाएं जो सायकल खरीदने के सपने देखती थी, परन्तु आज इसी कार्य से दो पहिया वाहन आसानी से खरीद के चला रहीं हैं. अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा हेतु अच्छे स्कूलों में पढ़ाई लिखाई करवा रहें है. समूह की 501 हितग्राही महिलाएं आज धागाकरण कार्य से स्वावलंबी हो चुकी हैं एवं परिवार की भी आर्थिक स्थिति मजबूत कर रहीं हैं. इससे इनका जीवन स्तर और भी उपर की ओर जा रहा है जिससे सामाज में इन्हें अलग पहचान मिल रही है. रेशम विभाग महिला समूह को हर स्तर पर सहयोग कर रही है.

महिलाओं को कोकून बैंक के माध्यम से कोसा उपलब्ध कराना मशीनों द्वारा उत्पादित धागा को विपणन कराना तथा विक्रय किया गया. धागे की राशि उनके खाते में उपलब्ध कराना इत्यादि इस प्रकार महिलाओं एवं गरीब परिवारों को रेशम विभाग द्वारा इनके पूर्ण विकास सकारात्मक आर्थिक विकास की ओर प्रयासरत है. जिससे वे अपने क्षमता को समझ सके और महिलाओं का सशक्त होना आज की महती आवश्यकता है.

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