महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले से शिवसेना विधायक संजय गायकवाड़ ने हाल ही में एक कैंटीन मैनेजर को थप्पड़ मारने की घटना पर टीवी 9 भारतवर्ष से खुलकर बात की है. इस घटना ने राज्य की सियासत में हलचल मचा दी है. गायकवाड़ ने अपने इस कदम का बचाव करते हुए कहा कि यह कोई जानलेवा हमला नहीं था, बल्कि सुधार के लिए एक सबक था.
संजय गायकवाड़ ने बताया कि वे पेट के मरीज हैं और जिस कैंटीन में वे और अन्य विधायक खाना खाते हैं. वहां का खाना और उसकी क्वालिटी बहुत खराब थी. उन्होंने कहा कि ‘हमने कई बार शिकायत की, लेकिन इस मुद्दे पर कोई ध्यान नहीं दिया गया. उस दिन मैंने दाल मंगाई, जो बासी और सड़ी हुई थी. जिसको खाने के बाद मुझे उल्टी हो गई थी. उसी हालत में मैं कैंटीन पहुंचा और मैनेजर से पूछा कि अगर खाना ऐसा है तो हमें क्यों खाने के लिए भेजा जाता है.’
सुधार के लिए सबक जरूरी था: गायकवाड़
बता दें कि संजय गायकवाड़ ने माना कि उन्होंने मैनेजर पर हाथ उठाया था. लेकिन उन्होंने इसे हल्का और सुधार के लिए बताया. उन्होंने कहा कि ‘मैंने अपनी पूरी ताकत नहीं लगाई थी. यह जानलेवा हमला नहीं था, बल्कि उसे सबक सिखाने के लिए था ताकि वे भविष्य में ऐसी गलतियां न करें. इसके बाद से उन्होंने इस पर तुरंत कार्रवाई की.
स्पोर्ट्स खिलाड़ी हूं, मारने का अंदाज भी स्पोर्ट्स वाला: गायकवाड़
गायकवाड़ ने बताया कि वे जूडो, बॉक्सिंग, कबड्डी और वॉलीबॉल जैसे खेलों के खिलाड़ी रह चुके हैं. उन्होंने कहा कि ‘मेरा मारने का तरीका स्पोर्ट्स वाला ही था. चार साल में जो काम नहीं हुआ, वह चार सेकंड में हो गया.’ उन्होंने जोर देकर कहा कि किसी को भी सेहत के साथ खिलवाड़ करने का कोई हक नहीं है. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि उनको अपने कदम पर किसी तरह का कोई पछतावा नहीं है.
हिंदी-मराठी विवाद पर बोले गायकवाड़
हिंदी भाषा को लेकर चल रहे विवाद पर गायकवाड़ ने कहा कि हिंदी एक जरूरी भाषा है और यह संवाद के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. उन्होंने ठाकरे बंधुओं (उद्धव और राज ठाकरे) पर तंज कसते हुए कहा कि वे चुनावी फायदे के लिए इस मुद्दे को उठा रहे हैं. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि ‘मराठी को कभी कमजोर नहीं करना चाहिए. यह हमारी पहचान है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि दूसरी भाषाओं को दबाया जाए.’