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टैक्स चोरी करने वाले हो जाएं सावधान, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने बनाया शानदार प्लान

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि वह टैक्स चोरी के मामलों में नकेल कसने के लिए डिजी यात्रा के आंकड़ों का उपयोग नहीं कर रहा है. विभाग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट साझा कर इस अफवाह का खंडन किया, जिसमें यह दावा किया गया था कि टैक्स चोरी करने वालों की पहचान करने के लिए डिजी यात्रा के आंकड़ों का इस्तेमाल किया जाएगा. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने इसे निराधार बताते हुए कहा कि इस संदर्भ में अब तक कोई भी कदम नहीं उठाया गया है.

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इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने कही ये बात

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की ओर से किए गए इस स्पष्टीकरण में यह भी कहा गया कि डिजी यात्रा से संबंधित डेटा का उपयोग विभाग द्वारा किसी प्रकार की कर चोरी की जांच या कार्रवाई में नहीं किया जा रहा है. विभाग ने उन खबरों का भी खंडन किया जिनमें दावा किया गया था कि डिजी यात्रा के माध्यम से प्राप्त यात्रियों के आंकड़ों का इस्तेमाल टैक्स चोरी को पकड़ने के लिए किया जाएगा.

डिजी यात्रा की क्या है खासियत?

डिजी यात्रा एक डिजिटल सिस्टम है, जो चेहरे की पहचान तकनीक (एफआरटी) पर आधारित है. इसके माध्यम से हवाई अड्डों पर यात्रियों को निर्बाध और संपर्क रहित आवाजाही की सुविधा मिलती है. इसमें यात्रियों के चेहरे की पहचान के जरिए उनकी पहचान की पुष्टि की जाती है, जिससे सुरक्षा जांच बिंदुओं पर समय की बचत होती है और यात्रियों को सुविधा मिलती है. डिजी यात्रा के लिए यात्री जो डेटा साझा करते हैं, वह पूरी तरह से एन्क्रिप्टेड होता है, जिससे उनकी गोपनीयता सुनिश्चित होती है.

इस सिस्टम का संचालन डिजी यात्रा फाउंडेशन द्वारा किया जाता है, जो विभिन्न हवाई अड्डों पर इसे लागू करने और संचालित करने का कार्य करता है. डिजी यात्रा के आंकड़े केवल उन यात्रियों के लिए उपयोगी होते हैं, जो इस सेवा का लाभ लेने के लिए अपनी जानकारी साझा करते हैं. यह प्रक्रिया पूरी तरह से स्वैच्छिक होती है, और जो यात्री इसके लिए सहमति नहीं देते, उनके लिए अन्य पारंपरिक जांच प्रक्रियाएं उपलब्ध होती हैं.

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने यह भी स्पष्ट किया कि इस सिस्टम का टैक्स चोरी के मामलों से कोई लेना-देना नहीं है. हालांकि, विभाग का कहना है कि वह हमेशा ही टैक्स चोरी पर नजर बनाए रखता है, लेकिन इसके लिए डिजी यात्रा जैसे उपकरणों का उपयोग नहीं किया जा रहा है. यह बयान उन अटकलों को खारिज करता है जिनमें कहा गया था कि सरकार डिजिटल निगरानी के जरिए कर चोरी करने वालों की पहचान करने की योजना बना रही है.

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