223 करोड़ के टैक्स घोटाले का पर्दाफाश, मजदूरों के नाम पर बनाई फर्जी कंपनियां

 राज्य जीएसटी विभाग ने 223 करोड़ रुपये के टैक्स घोटाले का पर्दाफाश किया है। विभाग ने मास्टरमाइंड अमन अग्रवाल के खिलाफ 60 दिनों के भीतर 2137 पेज का चालान न्यायालय में पेश किया है। यह राज्य जीएसटी की पहली ऐसी गिरफ्तारी है,जिसमें इतनी तेजी से कानूनी कदम उठाया गया।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और वाणिज्यिक कर मंत्री ओपी चौधरी के निर्देश पर में राज्य कर आयुक्त पुष्पेंद्र मीणा के नेतृत्व में यह कार्रवाई की गई। विभाग ने अत्याधुनिक डिजिटल टूल्स, ई-वे बिल पोर्टल के साथ आइपी एड्रेस एनालिसिस का उपयोग कर घोटाले की परतें खोलीं है।

वित्तीय गड़बड़ियों का राजफास

ट्रांजेक्शन विश्लेषण से पता चला कि चोरी की रकम को तीन बैंकों के खातों में ट्रांसफर किया गया। ये खाते महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तरप्रदेश और गुजरात में थे, जहां से राशि नकद निकालकर सिस्टम से बाहर की गई। कैसे

हुआ घोटाला?

जांच में पता चला कि अमन अग्रवाल ने 10 से अधिक गरीब मजदूरों के आधार कार्ड और मोबाइल नंबर का दुरुपयोग कर फर्जी कंपनियां बनाईं। इनके जरिए 223 करोड़ रुपये के फर्जी बिल जारी किए गए, जिससे 53 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी हुई। जीओ और एयरटेल से प्राप्त डेटा ने पुष्टि की कि फर्जी फर्मों का संचालन अमन अपने निवास से कर रहा था।

इंडियन मेटल अलॉय के डायरेक्टर को भेजा जेल

डीजीजीआइ(जीएसटी इंटेलिजेंस बिलासपुर) की 15 सदस्यीय टीम ने इंडियन मेटल्स अलॉय के डायरेक्टर इशाक खान को गिरफ्तार करने के साथ ही 14 दिन की न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया है। इशाक पर 40 करोड़ के एल्मुनियम की फर्जी बिलिंग का आरोप है। टीम ने दो दिनों तक पांच अलग-अलग ठिकानों पर छापेमार कार्रवाई की थी। इससे पहले तेंदुआ और सिलतरा के दो उद्योगपतियों के ठिकानों पर भी छापा मारा था।

Advertisements