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शिक्षक नेता की पत्नी के पास नहीं है अपनी नियुक्ति-ट्रांसफर से जुड़े एक भी दस्तावेज की मूल प्रति, फर्जीवाड़े की खुल रही पोल

कर्मचारी अपनी नियुक्ति से संबंधित एक-एक दस्तावेज संभाल कर रखता है और खास तौर पर बात जब शिक्षकों को रास्ता दिखाने वाले शिक्षक नेता के घर की बात हो तब तो यह माना ही जाता है कि उसके पास अपने सभी दस्तावेज होंगे. लेकिन फर्जी नियुक्ति मामले में घिरी छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संजय शर्मा की पत्नी व महिला शिक्षिका चंद्ररेखा शर्मा ने विकासखंड शिक्षा अधिकारी बिल्हा के द्वारा दस्तावेज मांगने पर नियुक्ति आदेश, स्थानांतरण आदेश, अनापत्ति प्रमाण पत्र , कार्यभार ग्रहण, कार्य मुक्ति आदेश जैसे महत्वपूर्ण आदेश की ओरिजिनल कॉपी न होने की जानकारी देकर केवल छाया प्रति होने की जानकारी दी है. उन्होंने जो छाया प्रति उपलब्ध कराई है उसमें पत्र क्रमांकों का ही जिक्र नहीं है. केवल इस एक पत्र से पूरे मामले में यह समझा जा सकता है कि किस तरीके से खुद को बचाने की कोशिश में यह खेल खेला जा रहा है. जिला शिक्षा अधिकारी को इस मामले की जब शिकायत की गई तो उन्होंने इसके जांच की जिम्मेदारी स्थानीय स्तर पर विकासखंड शिक्षा अधिकारी बिल्हा को दी और जब बिल्हा विकासखंड शिक्षा अधिकारी ने इस मामले से जुड़े दस्तावेज खंगाले तो पाया कि उनके कार्यालय में इस मामले से जुड़े पर्याप्त दस्तावेज उपलब्ध नहीं है. ऐसे में उन्होंने चंद्ररेखा शर्मा को पत्र लिखकर इन सभी दस्तावेजों के साथ उपलब्ध होने के लिए कहा था. इसके बाद चंद्ररेखा शर्मा ने कार्यालय पहुंचकर यह जानकारी उपलब्ध कराई कि उनके पास किसी प्रकार का कोई मूल दस्तावेज नहीं है. साथ ही उन्होंने स्व हस्ताक्षर कर जो छायाप्रति उपलब्ध कराई है उसने विकासखंड शिक्षा अधिकारी को भी फंसा कर रख दिया है.

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सर्विस बुक और एलपीसी से जुड़े दो कार्यालय के लेटर ने बीईओ को खड़ा कर दिया कटघरे में

दरअसल इस मामले में जेडी कार्यालय ने RTI के तहत शिकायतकर्ता हरेश बंजारे को जो दस्तावेज सौंपे हैं उसमें बड़ी गड़बड़ी निकलकर सामने आई है. चंद्ररेखा शर्मा के सर्विस बुक और अंतिम वेतन प्रमाण पत्र को जनपद पंचायत बिल्हा को प्रेषित किए जाने के संबंध में पूर्व में विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय पत्थलगांव का पत्र उपलब्ध था जो कि सरगुजा जेडी की जांच में भी सामने आया था. इधर जेडी बिलासपुर बीईओ बिल्हा को पत्र लिखकर कुछ बिंदुओं पर जानकारी मांगी. जिसमें नगर पंचायत पत्थलगांव द्वारा जारी सर्विस बुक और अंतिम वेतन प्रमाण पत्र से संबंधित पत्र की मांग की गई थी जिसके बाद विकासखंड शिक्षा अधिकारी बिल्हा द्वारा चंद्ररेखा शर्मा के स्व हस्ताक्षर वाले पत्र को जमा कर दिया. स्थिति यह है कि चंद्ररेखा शर्मा के सर्विस बुक और अंतिम वेतन प्रमाण पत्र के संबंध में अभी तक केवल विकासखंड शिक्षा अधिकारी पत्थलगांव द्वारा प्रेषित पत्र की कॉपी थी और अब सर्विस बुक और अंतिम वेतन प्रमाण पत्र प्रेषित के संबंध में नगर पंचायत पत्थलगांव का भी पत्र उपलब्ध है.

स्वाभाविक है किसी भी कर्मचारी का सर्विस बुक और अंतिम वेतन प्रमाण पत्र संबंधी जानकारी एक ही कार्यालय से भेजा जाता है. लेकिन यहां पर दो कार्यालय का पत्र जमा कर दिया गया है. जिसमें नगर पंचायत पत्थलगांव का पत्र अभी जांच शुरू होने के बाद जमा किया गया है, जो कि पूर्व में अस्तित्व में नहीं था. यहां तक की ऑनलाइन कार्मिक संपदा में भी इसकी एंट्री नहीं थी और सरगुजा जेडी द्वारा की गई जांच में भी यह पत्र नहीं था. इसका सीधा मतलब है कि हाल फिलहाल में इस पत्र को तैयार करके जमा किया गया है और इसी बात को लेकर हरेश बंजारे जो कि शिकायतकर्ता है, उन्होंने फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत करने वाले पर  तत्काल FIR की मांग की है.

इन सवालों के जवाब में फंसेगी महिला शिक्षिका

दरअसल, मूल दस्तावेज ना होने पर मामले की जांच में कठिनाई होती है. लेकिन इस मामले में विभागीय जांच में पर्याप्त दस्तावेज उपलब्ध हो गए हैं जो इस पूरी नियुक्ति को फर्जी होना बताते हैं. दरअसल, जिस स्कूल में नियुक्ति दिखाई गई उस स्कूल की प्रधान पाठक ने शपथपूर्वक जांच टीम को यह जानकारी दे दी है कि चंद्र रेखा शर्मा ने उनके यहां कभी कार्यभार ग्रहण किया ही नहीं है और उन्होंने शिक्षकों की उपस्थिति पंजी भी जमा कर दी है. इसके अतिरिक्त नगर पंचायत पत्थलगांव ने भी किसी प्रकार का कोई दस्तावेज न होने की बात लिखकर दे दी है. श्रीमती चंद्ररेखा शर्मा की तरफ से विभाग को यह जानकारी नहीं दी जा रही है कि नियुक्ति के 6 महीने के दौरान उन्होंने अपनी सेवाएं कहां दी है और उन्हें किस बैंक खाते में वेतन भुगतान हुआ है. यही नहीं एक संदिग्ध गोपनीय चरित्रावली भी विभाग में जमा किया गया है. जिसमें न तो संस्था प्रमुख के सील और हस्ताक्षर हैं और न ही उसमें तिथि अंकित है और न ही यह अंकित है कि यह किस सत्र के लिए जारी किया गया है.

सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि चंद्ररेखा शर्मा ने स्कूल में कार्यभार ग्रहण ही नहीं किया है और विकासखंड शिक्षा अधिकारी पत्थलगांव के नाम से जारी इस पत्र में उनके छात्रों और सहकर्मियों के साथ संबंध मधुर बताया गया है. इस पूरे मामले में विकासखंड शिक्षा अधिकारी पत्थलगांव की भूमिका भी अत्यंत संदिग्ध है क्योंकि उनके द्वारा जारी हर पत्र कहीं न कहीं गोलमोल तरीके से जारी किया गया और महिला शिक्षिका को बेनिफिट ऑफ द डाउट का लाभ देते हुए नजर आता है जिसे लेकर शिकायतकर्ता ने विभाग में शिकायत की है. विकासखंड शिक्षा अधिकारी पत्थलगांव ने जांच में भी यह पता लगाने के बजाय की चंद्ररेखा शर्मा ने अपनी सेवाएं कहां दी है गोलमाल तरीके से लिख दिया है कि कहीं न कहीं अपनी सर्विस दी होगी जिससे समझा जा सकता है कि इस मामले में कितनी गड़बड़ है. इधर शिकायतकर्ता का कहना है कि हमारे पास कुछ दस्तावेज ऐसे हैं जो एन मौके पर सीधे न्यायालय में प्रस्तुत किए जाएंगे जो यह साबित करेंगे कि यह अकेला मामला नहीं है. बल्कि एक बड़ा रैकेट है जिनके सहयोग से कुछ लोगों ने घर बैठकर दस्तावेज तैयार कर नौकरी हथिया ली और अब मजे से वेतन लेकर विभाग को धोखा दे रहे हैं.

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