गुरू पूर्णिमा पर शिक्षकों का सम्मान, CM मोहन यादव ने नए स्कूल भवन का भी किया लोकार्पण

गुरू पूर्णिमा पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि यह पर्व हमारी सनातन संस्कृति का उज्ज्वल पक्ष है. गुरू को हमने अपने जीवन में सर्वोच्च स्थान पर रखा है. गुरू का अर्थ है अंधेरे से प्रकाश की ओर ले जाने वाला. दुनिया में 200 से ज्यादा देश हैं, इन सबको लेकर भारत ने वसुधैव कुंटुम्बकम की भावना स्थापित की. हमें गर्व है कि दो हजार साल पहले दुनिया में एक तरफ अंधेरा था, कई देशों में संस्कृति का उत्थान हुआ और फिर पतन हो गया.

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सीएम यादव भोपाल के कमला नेहरू सांदीपनि विद्यालय में आयोजित ‘गुरु पूर्णिमा कार्यक्रम’ को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे. यहां उन्होंने सभी को गुरू पुर्णिमा की बधाई दी और शिक्षकों का सम्मान किया. कार्यक्रम में गुरू परंपरा और संस्कृति पर आधारित फिल्म का प्रदर्शन हुआ. इस मौके पर सांदीपनि विद्यालय के बच्चों ने मुख्यमंत्री डॉ. यादव को स्कैच आर्ट से बना चित्र भी भेंट किया.

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कमला नेहरू सांदीपनि कन्या शासकीय विद्यालय के सर्व-सुविधायुक्त नए भवन का लोकार्पण भी किया. करीब 36 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित इस अत्याधुनिक भवन में उन्नत प्रयोगशालाएं, समृद्ध लाइब्रेरी और आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित ऑडिटोरियम का निर्माण किया गया है.

मुख्यमंत्री यादव ने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस तरह से पूरी दुनिया में भारत का मान बढ़वा रहे हैं, सम्मान बढ़वा रहे हैं, वह अद्भुत है. बदलते दौर में भारत सभी क्षेत्रों में विकास के साथ दुनिया के सामने सीना तान कर खड़ा है. प्रधानमंत्री मोदी ने भारत को जो सर्वोच्च सम्मान दिलाया, वह आजादी के बाद बनने वाला कोई प्रधानमंत्री नहीं दिला सका

महर्षि सांदीपनि की कहानी सुनाई

उन्होंने कहा कि महर्षि सांदीपनि को कंस की वजह से बनारस में अपना आश्रम बंद करना पड़ा. जब कंस जैसे सत्ताधीश तानाशाह बन जाते हैं, तो सारी व्यवस्था ध्वस्त हो जाती है. समाज में हाहाकार मच जाता है. कंस के अत्याचार की वजह से बनी परिस्थिति में महर्षि सांदीपनि देशाटन के लिए निकलते हैं. उस दौर में उनका व्यक्तित्व अद्भुत था. उनका व्यक्तित्व इतना विराट था कि दुश्मन भी सोचते थे कि उनके बच्चों को महर्षि सांदीपनि ही शिक्षा दें.

सीएम डॉ. यादव ने कहा कि जब महर्षि सांदीपनि देश की सीमा के पार गए तो आततायियों ने उन्हें पकड़ लिया और उन्हें बच्चों को शिक्षा देने के लिए कहा. महर्षि सांदीपनि ने विनम्रता से मना कर दिया. उन्होंने कहा कि वे अपने ही देश के बच्चों को शिक्षा देने का अधिकार रखते हैं. आततायियों ने उन्हें कई तरह से मजबूर करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने उनकी बात नहीं मानी. जब महर्षि सांदीपनि नहीं झुके तो आततायियों ने उनके 6 माह के बच्चे को छीन लिया. महर्षि सांदीपनि बच्चे को छोड़कर उज्जैन आ गए और गुरुकुल चलाया. उन्होंने नए-नए बच्चों को शिक्षित-दीक्षित किया.

15 साल बाद टूटा रिजल्ट का रिकॉर्ड

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि 15 साल बाद इतना अच्छा समय आया है कि 10वीं-12वीं में रिजल्ट का रिकॉर्ट टूट गया. सरकारी स्कूलों ने प्राइवेट स्कूलों को पीछे छोड़ा है. प्राइवेट स्कूल के भवन अच्छे हो सकते हैं, प्रबंधन अच्छे हो सकते हैं, वे रुपये बहुत खर्च कर सकते हैं, ये सब होने के बावजूद हमारे सरकारी स्कूलों ने साख बनाई है. नई शिक्षा नीति के साथ हम लगातार आगे बढ़ रहे हैं.

 

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