ओडिशा के संबलपुर जिले के बामड़ा तहसीलदार अश्विनी कुमार पंडा भ्रष्टाचार निरोधक विभाग की कार्रवाई में रिश्वत लेते हुए पकड़े गए। उन पर आरोप है कि उन्होंने एक किसान से जमीन के म्यूटेशन केस को निपटाने के लिए 20 हजार रुपये की रिश्वत मांगी थी। शिकायत मिलने पर विजिलेंस टीम ने जाल बिछाया और उनके ड्राइवर पी. प्रवीण कुमार के जरिए 15 हजार रुपये लेते समय उन्हें रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस ने बताया कि अश्विनी पंडा की गिनती राज्य के होनहार अधिकारियों में होती थी। महज 29 साल की उम्र में उन्होंने बिना किसी कोचिंग के ओडिशा सिविल सेवा परीक्षा पास कर ली थी और तहसीलदार बने थे। उनकी मेहनत और लगन को युवा अफसरों के लिए मिसाल माना जाता था, लेकिन अब उन्हीं पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं।
विजिलेंस ने उनके आवास पर छापेमारी की, जहां से 4.73 लाख रुपये नकद बरामद हुए। अधिकारियों का कहना है कि इस रकम की जांच की जा रही है कि यह कहां से आई। इस कार्रवाई के बाद सोशल मीडिया पर लोग गुस्सा जाहिर कर रहे हैं और इसे सिस्टम पर भरोसा तोड़ने वाला मामला बता रहे हैं।
अश्विनी पंडा का संबंध जाजपुर जिले के खेतरपाल गांव से है। उन्होंने जनकल्याण हाई स्कूल से पढ़ाई की और फिर रावेंशा यूनिवर्सिटी से विज्ञान विषय में प्लस टू किया। इसके बाद ब्रह्मपुर के एक निजी कॉलेज से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया। इंजीनियर बनने के बाद उन्होंने दिल्ली की एक प्राइवेट कंपनी में तीन साल नौकरी की। साल 2018 में उन्होंने नौकरी छोड़ दी और ओडिशा लौटकर सरकारी सेवा की तैयारी शुरू की।
पहले उन्होंने असिस्टेंट सेक्शन ऑफिसर की परीक्षा दी थी, जिसमें वह मामूली अंतर से असफल रहे। इसके बाद उन्होंने ओडिशा सिविल सेवा परीक्षा में सफलता हासिल कर तहसीलदार का पद पाया। लेकिन अब उनका करियर और प्रतिष्ठा दोनों दांव पर लग गए हैं। विजिलेंस की यह कार्रवाई दिखाती है कि भ्रष्टाचार पर सख्ती जारी है और पद कितना भी बड़ा हो, कानून से बचना संभव नहीं।