बिहार विधानसभा चुनाव से दो महीने पहले आरजेडी के भीतर परिवारिक कलह सामने आई है। लालू परिवार में तेजस्वी यादव के सलाहकार और सांसद संजय यादव को लेकर विवाद गहराया हुआ है। इस बीच लालू की बेटी रोहिणी आचार्य को लेकर चर्चाएं तेज हो गईं।
रोहिणी आचार्य ने हाल ही में अपनी पोस्ट में लिखा कि उन्होंने एक बेटी और बहन होने के नाते अपना कर्तव्य और धर्म निभाया है। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें किसी पद की लालसा या राजनीतिक महत्वाकांक्षा नहीं है और उनका आत्म-सम्मान उनके लिए सर्वोपरि है। उनके इस बयान के बाद यह कहा जाने लगा कि तेजस्वी यादव का संजय यादव को अधिक महत्व देना परिवार में असंतोष पैदा कर रहा है।
इस पर पूर्व मंत्री और आरजेडी नेता तेज प्रताप यादव ने अपनी बहन रोहिणी आचार्य का समर्थन करते हुए बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि एक महिला होने के नाते रोहिणी ने जो सराहनीय काम किया है, वह शायद ही कोई बेटी या मां कर सकती है। उन्होंने चेतावनी दी कि हमारी बहनों का अपमान करने वालों पर कृष्ण का सुदर्शन चक्र चलेगा। तेज प्रताप का यह इशारा स्पष्ट रूप से संजय यादव की ओर था।
तेज प्रताप ने यह भी कहा कि रोहिणी का योगदान केवल हमारे परिवार के लिए ही नहीं, बल्कि सभी महिलाओं के लिए सम्मानजनक है और इसकी चर्चा हमेशा की जाएगी। उनके बयान से यह साफ हुआ कि लालू परिवार में खाई बढ़ती जा रही है और तेजस्वी यादव अलग-थलग नजर आने लगे हैं।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि रोहिणी आचार्य की पोस्ट और तेज प्रताप के बयान ने आरजेडी के भीतर विवाद को और बढ़ा दिया है। परिवारिक असंतोष और व्यक्तिगत झगड़े पार्टी की चुनावी रणनीति पर भी असर डाल सकते हैं।
इस पूरे घटनाक्रम से यह भी स्पष्ट हुआ कि बिहार की राजनीति में परिवारिक और राजनीतिक रिश्ते आपस में उलझे हुए हैं। तेज प्रताप यादव का यह बयान न केवल रोहिणी के समर्थन में आया बल्कि पार्टी में अपने दबदबे को दिखाने का संकेत भी माना जा रहा है।