बिहार में इस विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. चुनाव से पहले चुनाव आयोग की ओर से शुरू किए गए वोटर लिस्ट रिवीजन (एसआईआर) सुर्खियों में है. इसे लेकर जमकर राजनीति हो रही है. विपक्ष ग़रीब और पिछड़े वर्गों के वोट छिनने का आरोप लगा रही है. वहीं दूसरी ओर दो-दो वोटर आईडी कार्ड को लेकर भी आरजेडी और बीजेपी में घमासान चल रहा है.
इस बीच एक बार फिर से 2020 बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान आरजेडी नेता तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव द्वारा दायर किए गए हलफनामा विवादों में है. दरअसल, चुनाव आयोग को दिए गए हलफनामे में तेजस्वी को बड़ा भाई और तेज प्रताप को छोटा भाई बता गया था. इस मामले को एक बार फिर से जीवित किया जा रहा है. बिहार के डिप्टी सीएम और बीजेपी नेता विजय कुमार सिन्हा ने इसे ‘उम्र का एफीडेविट घोटाला’ बताया है.
खास बात ये है कि 2015 के विधानसभा चुनाव के दौरान भी जो हलफनामा दायर किया गया था उसमें भी तेजस्वी को बड़ा भाई और तेज प्रताप को छोटा बताया गया था. इसमें सुधार नहीं की गई और 2020 में भी ये जारी रहा.
विजय कुमार सिन्हा ने क्या कहा?
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए विजय कुमार सिन्हा ने लिखा कि बिहार में चारा घोटाला, नियुक्ति घोटाला के बाद अब उम्र का एफीडेविट घोटाला किया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि जिसकी खुद की राजनीति ‘फ्रॉडिज्म’ पर टिकी हो, वो दूसरों को ज्ञान दे रहा है. 2015 विधानसभा चुनाव के एफिडेविट अनुसार दौरान बड़े भाई तेजप्रताप की उम्र 25 साल और छोटे भाई तेजस्वी की उम्र 26 साल, यानी एक और नया घोटाला — ‘उम्र घोटाला’, RJD का ताज़ा कारनामा. उन्होंने कहा कि तेजस्वी अपने पिता के बनाए घोटालों के रास्तों पर ही चल रहे हैं.
तेजस्वी ने 2020 का चुनाव राघोपुर सीट से लड़ा था और जीत दर्ज की थी. वहीं, तेज प्रताप ने अपनी सीट बदल ली थी. 2015 में तेज प्रताप ने महुआ से विधायक बने थे. वहीं 2020 में हसनपुर से चुनाव जीता था.
2020 के हलफनामे के अनुसार, तेजस्वी के पास 5.88 करोड़ रुपये की संपत्ति और तेज प्रताप के पास 2.83 करोड़ रुपये की संपत्ति थी.
हालांकि, इस बार के चुनाव से पहले समीकरण बदल गया है. निजी कारणों की वजह से आरजेडी के प्रमुख और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव ने अपने बड़े बेटे को पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है.