मौजूदा वक्त में बिहार पूरी तरह से चुनाव के माहौल में है. सभी सियासी दल अपने-अपने स्तर पर पूरी जान लगाकर डटे हुए हैं. जन सुराज पार्टी से संस्थापक प्रशांत किशोर ने एक इंटरव्यू में कहा कि उन्होंने नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव और मौजूदा सिनेरियो पर बात की.
प्रशांत किशोर ने दावा किया कि अगर मेरी सहमति नहीं होती, तो तेजस्वी यादव उपमुख्यमंत्री नहीं बन सकते थे.
प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार से जुड़े सवाल पर कहा, “उनसे अब भी मेरा व्यक्तिगत स्नेह है लेकिन अब राजनीतिक तौर पर नीतीश बाबू की मानसिक और शारीरिक स्थिति वो नहीं है, जिस नीतीश कुमार को हम लोग जानते थे और सहयोग किया था.”
प्रशांत किशोर ने कहा, “हमारा उद्देश्य बिहार में सामाजिक-राजनीतिक आमूल-चूल परिवर्तन लाना है. हम एमएलए और मंत्री बनने नहीं आए हैं. अगर ऐसा होता, तो 2015 में हम लोग चुनाव जीते हुए थे, अगर हमारी सहमति नहीं होती तो, तेजस्वी यादव भी उपमुख्यमंत्री नहीं बन पाए होते, जाकर लालू यादव जी से पूछ लीजिएगा.”
उन्होंने दावा किया कि जो कैबिनेट 2015 में बना है, जिन नामों पर भी हम लोगों ने विरोध कर दिया, वो मंत्री नहीं बन पाए थे. हमीं लोग उस वक्त फैसला ले रहे थे.
‘नीतीश बाबू ने मुझे बुलाया…’
ये कहने पर कि ‘तेजस्वी भी इसी तरह बोलते हैं, आपका और उनका बयान मेल खाता है.’ प्रशांस किशोर ने कहा, “तेजस्वी यादव साल भर पहले नीतीश कुमार के साथ उपमुख्यमंत्री बने थे. हमारे और उनमें फर्क ये है कि 2 मई 2020 को जब मैं बिहार आया तो नीतीश बाबू ने मुझे बुलाया औऱ मैं निकलकर कहा कि आप जो ऑफर दे रहे हैं, मुझे ये स्वीकार नहीं है, इसके लिए आपका धन्यवाद.”
उन्होंने आगे कहा कि अगर मुझे मंत्री बनना होता, सरकार में आना होता तो मैं शामिल हो गया था. तेजस्वी यादव को जिस दिन उपमुख्यमंत्री बना दिया गया, उस दिन नीतीश कुमार में उनको विकास पुरुष दिखने लगा. बिहार में शराब बंदी नहीं दिखने लगी और बिहार में स्कॉटलैंड दिखने लगा. उनका मकसद सिर्फ एमएलए और मंत्री बनना है, हमारा वो मकसद नहीं है.